बीजिंग : चीन की अगुवाई वाली एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) ने कुछ एशियाई देशों में स्थानीय मुद्रा में वित्त पोषण की योजना बनाई है, जिसमें उसका शीर्ष उधारकर्ता भारत भी शामिल है। यह योजना इस साल के अंत में लागू की जाएगी।
बैंक के अध्यक्ष जिन लिकन द्वारा घोषित इस कदम का उद्देश्य विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के कारण सीमा पर निवेश के जोखिम को कम करना है।
भारत इस बहुपक्षीय बैंक का दूसरा सबसे बड़ा हितधारक है। यहां के अलावा यह सुविधा पाकिस्तान और इंडोनेशिया समेत अन्य देशों को भी मुहैया कराई जाएगी।
इस सेवा का इस्तेमाल डॉलर में निपटान से उत्पन्न होने वाले विदेशी मुद्रा-दर जोखिमों के खिलाफ बचाव के लिए किया जाता है। यह जोखिम तब बढ़ गया था, जब पिछले साल कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में स्थानीय मुद्राओं की तुलना में ग्रीनबैक मजबूत हो गया था।
एआईआईबी स्ट्रेटजी (पॉलिसी और बजट विभाग) के मुख्य अर्थशास्त्री जांगपिंग थिया के हवाले से चायना डेली ने कहा, उच्च वैश्विक ब्याज दरों के कारण ऋण वित्तपोषण की बढ़ती लागत और सीमा-पार निवेश में अनिश्चितता, जोकि व्यापार तनाव का नतीजा है। इससे टिकाऊं अवसंरचना के वित्त पोषण को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
उन्होंने कहा, उभरते बाजारों में हाल में मुद्राओं के विनिमय दर में उतार-चढ़ाव चिंता का विषय है। इसके कारण परियोजनाओं में देरी हो सकती है, जिन परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है, उनके लागू होने की संभावना कम हो सकती है।
थिया ने कहा, इसलिए निजी पूंजी जुटाने के प्रयासों को फिर से शुरू किए जाने की तत्काल जरूरत है। चीन की अगुवाई वाली एआईआईबी के दुनियाभर में 93 स्वीकृत सदस्य हैं।