नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा कि सेना में व्यभिचार और समलैंगिक सेक्स जैसी बातों की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इन दोनों व्यवहारों को सर्वोच्च न्यायालय ने अपराध की श्रेणी से हटा दिया है। रावत ने कहा कि सेना कानून से ऊपर नहीं है, लेकिन सेना में सैन्य कानून चलता है, जिसमें इन बातों का जिक्र नहीं है।
सेना प्रमुख ने परंपरगत सालाना प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, अनुच्छेद 377 और अन्य मसलों पर बात करते हुए मैं आपको बता दूं कि हम हमेशा सेना को एक परिवार के रूप में देखते हैं। मेरा मानना है कि जिन बातों की चर्चा हो रही है, उनकी अनुमति सेना में नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने कहा, हमारे अनेक सैनिक अपने परिवारों को फील्ड एरिया फैमिली एकोमोडेशन में छोड़कर सीमाओं पर तैनात हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि इन परिवारों की देखभाल उसी तरह हो जिस तरह आपके अपने परिवार की होती है। आप चाहे जो कुछ कहें, यह अनुच्छेद, वह अनुच्छेद, जो अफसर और जवान सीमा पर तैनात हैं, वह परेशान नहीं होंगे अगर उनके परिवार की अच्छे से देखभाल होगी।
उन्होंने कहा, सेना में हम कभी नहीं सोचते कि ऐसा (समलैंगिकता, व्यभिचार) हो सकता है। सेना के कानून में जो हो सकता था, वही शामिल किया गया है। यह ऐसी बात है जो सेना का कानून बनाते समय सुनी नहीं गई थी, इसलिए कानून में यह नहीं शामिल किया गया। हमने इसकी अनुमति कभी नहीं दी। हम लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे।