वाशिंगटन : फर्जी विश्वविद्यालय का इस्तेमाल कर किए गए पे टू स्टे स्टिंग ऑपरेश्न में अभी तक गिरफ्तार 130 विद्यार्थियों को केवल सिविल आव्रजन आरोपों का सामना करना होगा। द डेट्राइट फ्री प्रेस की गुरुवार की रपट के मुताबिक, इमीग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट(आईसीई) की प्रवक्ता करिसा कुटरैल ने कहा, हमने सिविल आव्रजन आरोपों पर 130 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि उनमें से अन्य को भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
जिन विद्यार्थियों ने जानबूझकर इस घोटाले में शामिल हुए और वे जानते थे कि यह वास्तविक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं है, उन्हें निर्वासन का सामना करना होगा।
आईसीई सर्विस के मुताबिक, विद्यार्थियों के नियोक्ताओं के रूप में कथित रूप से घोटाला चलाने वाले आठ लोगों को वीजा धोखाखड़ी और लाभ के लिए दूसरे देशों के लोगों को शरण देने की साजिश रचने के आपराधिक आरोपों व पांच साल की अधिकतम सजा का सामना करना होगा।
संघीय अभियोजकों द्वारा अदालत में दाखिल दस्तावेज में कहा गया है कि करीबन 600 विद्यार्थियों ने फर्जी संस्थान फार्मिगटन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। आव्रजन अधिकारियों ने वीजा धोखाधड़ी के विद्यार्थियों को पकड़ने के लिए यह विश्वविद्यालय बनाया था, जिसके लिए स्टिंग ऑपरेश्न किया गया।
अभियोजकों ने इसे पे टू स्टे घोटाला करार दिया, क्योंकि विद्यार्थियों ने फर्जी विश्वविद्यालय से दस्तावेज पाने के लिए नियोक्ताओं को भुगतान किया, जो उन्हें बिना कक्षा में उपस्थित हुए छात्र वीजा पर यहां रुकने में सक्षम बनाता था।
अमेरिकी तेलुगू संघ के कानूनी सहायता कार्यक्रम सेवा के अध्यक्ष शिव कुमार ने आईएएनएस को बताया कि वे प्रभावित विद्यार्थियों को मदद मुहैया कराने के लिए काम कर रहे हैं। कुमार ने कहा कि उन्होंने भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला से मुलाकात कर विद्यार्थियों की मदद के लिए कहा है।