जयपुर : अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने यहां रविवार को कहा कि बुरा दौर असफलता का परिचायक नहीं होता है, लेकिन यह आपको कई नए सबक सिखा सकता है और सीख दे सकता है।
जयपुर साहित्य महोत्सव के इतर मनीषा कोइराला ने कहा, जिंदगी फूलों की सेज नहीं होती है। हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव होते हैं। लेकिन, हर किसी को यह समझना चहिए कि यह एक बुरा वक्त है और कल अच्छा दौर आएगा।
मनीषा के अनुसार, कैंसर ने एक इंसान के तौर पर उन्हें बदल दिया और वह कहीं ज्यादा दयालु सौम्य हो गईं हैं प्रकृति के हर पहलू का आनंद ले रही हैं।
उन्होंने कहा कि फॉर्मास्युटिकल कंपनियों और सरकार के बीच साझेदारी होनी चाहिए ताकि भारत में मरीजों को सस्ता मेडिकल उपचार मिल सके।
मनीषा ने कहा, हमें दुनिया के अपने हिस्से में, जो कि विकासशील देश हैं, कैंसर के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है क्योंकि विकसित देश इस बारे में पूरी तरह से जागरूक हैं। वहां के लोग सही समय पर चिकित्सक के पास चले जाते हैं, इसलिए कैंसर का शुरू में ही पता चल जाता है और समय पर ठीक हो जाते हैं। मेरा शरीर इसके संकेत दे रहा था, लेकिन मैं इससे अनजान थी। अगर मुझे इस बारे में पता होता तो पहले ही चिकित्सक के पास चली जाती और पहले ठीक हो जाती।
उन्होंने महिलाओं से महिला सशक्तिकरण के लिए पीड़िता के रूप में नहीं बल्कि विजेता और शांतिपूर्ण योद्धा के रूप में आगे आने का भी आग्रह किया। मनीषा ने अपनी किताब हील्ड : हाउ कैंसर गेव मी अ न्यू लाइफ के बारे में भी बात की।
उन्होंने कहा, जब मैं बीमार थी, मैं सकारात्मक कहानियों की तलाश में थी। मुझे युवराज सिंह और लीजा रे की कहानी को छोड़कर ज्यादा कहानियां नहीं मिलीं, जिन्होंने कैंसर से सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी थी।
अभिनेत्री ने कहा, तो, जब मैं ठीक हो गई तो मैंने अपनी कहानी लोगों के साथ साझा करने का फैसला किया। मेरा यह भी मानना है कि अपनी बात साझा करने से दिल और दिमाग पर से एक तरह का बोझ उतरने में मदद मिलती है। इसलिए, मैंने किताब लिखी और मैं यहां जेएलएफ (जयपुर साहित्य महोत्सव) में हूं क्योंकि मैंने फैसला किया था कि लेखिका बनते ही मैं यहां आऊंगी।
मनीषा ने कहा कि उन्हें फिल्मों और अभिनय से प्यार है, इसलिए वह अभिनय जारी रखेंगी। पिछले साल अभिनेत्री दो फिल्मों लस्ट स्टोरीज और संजू में नजर आई थीं।