गुवाहाटी :असम में चाय की पूरी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नॉर्थ इस्टर्न टी एसोसिएशन (एनईटीए) ने प्रदेश के चाय बगानों में हंसिया बंदी अभियान शुरू किया है।
हाथ से चाय के दो पत्तों और कली तोड़े जाने के कारण असम की चाय दुनियाभर में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती है, लेकिन कुछ बगानों में हंसिया से चाय की पत्तियां काटी जाती हैं जिससे चाय की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
एनईटीए के चेयरमैन नेपुल सैकिया ने बुधवार को कहा कि संगठन ने आज से कसी (हंसिया से काटना) को न कहा है।
उन्होंने कहा कि इस अभियान का मुख्य मकसद चाय उत्पादकों में चाय की कटाई के लिए हंसिया का उपयोग नहीं करने को लेकर जागरूकता लाना है।
उन्होंने कहा कि पिछले 35 साल के दौरान चाय की खेती का रकबा काफी बढ़ गया है। 1990 में असम में सिर्फ 38.8 करोड़ किलो चाय का उत्पादन हुआ था जबकि 2018 में 69.2 करोड़ किलो चाय का उत्पादन हुआ।