पटना : केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश बजट में बिहार के लिए कुछ खास न रहने से पटना के कई लोग निराश दिखे, तो कई लोग पेट्रेाल और डीजल पर कर बढ़ाए जाने से इसे महंगाई बढ़ाने वाला बजट बताया। हालांकि मध्यवर्ग के कई लोगों ने इसे संतुलित बजट बताया।
बिहार के प्रतिष्ठित पटना विश्वविद्यालय के छात्र अंकित कुमार ने कहा कि इस बजट में बेरोजगारों के रोजगार के लिए कोई सीधी बात नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण ने उच्च शिक्षा प्रणाली के बदलने की बात तो बजट में की है, लेकिन बेरोजगारों को रोजगार देने के बारे में कुछ नहीं कहा।
उन्होंने कहा कि रेलवे सहित कई ऐसे विभाग हैं, जहां बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं, लेकिन सरकार रेलवे का भी निजीकरण करने की ओर बढ़ती नजर आ रही है।
राजा बजार के इलेक्ट्रॉनिक दुकानदार मनीष कुमार ने इस बजट को संतुलित बताया। उन्होंने कहा कि जीएसटी पंजीकृत अतिलघु, लघु और मध्यम उद्यमों को ब्याज में दो प्रतिशत की छूट देने का प्रावधान कर सरकार व्यवसायियों को लाभ देने की ओर बढ़ी है। उन्होंने हालांकि पेट्रोल और डीजल पर कर बढ़ाए जाने को महंगाई बढ़ाने वाला बताते हुए कहा कि पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़ने से मालभाड़े में वृद्धि होगी, जिससे महंगाई बढ़ेगी। उन्होंने बजट में खुदरा कारोबारियों को पेंशन दिए जाने के प्रस्ताव की प्रशंसा की।
पटना के मनेर किसान संघ के नेता नरेंद्र राय ने कहा कि बजट में किसानों के लिए बहुत कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि बजट भाषण में अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की योजनाओं की घोषणा की गई है, परंतु उसमें क्या होगा, यह अभी देखना होगा। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि मोदी सरकार ने किसान सम्मान योजना की शुरुआत कर बहुत राहत दी है।
एक निजी विद्यालय की शिक्षिका स्वर्णलता सिन्हा ने कहा कि इस बजट से उम्मीद बढ़ी है। स्टार्टअप से बेरोजगार युवक-युवतियों को लाभ होगा, जबकि बजट में ग्रोथ और बुनियादी संरचना को बढ़ाने की बात कही गई है, जो देश को विकासोन्मुख करेगा।
अर्थशास्त्र में स्नातकोतर स्वर्णलता दावे के साथ कहती हैं कि भले ही यह बजट वर्तमान समय में लोकलुभावन नहीं लग रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में यह बजट देश को तरक्की देगा।
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दीपक सिंह ने आम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने बजट में बिहार जैसे पिछड़े राज्य को न तो विशेष राज्य का दर्जा देने और न ही विशेष पैकेज देने की बात कही है, जो निराशाजनक है।
उन्होंने हालांकि बजट में मध्यवर्ग के लोगों को छुए बिना अमीरों के लिए कर बढ़ाए जाने को सही बताते हुए कहा कि 10 हजार नए कृषि उत्पादक संगठन बनाने की उम्मीद और गांवों को बाजार से जोड़ने वाली सड़कों को अपग्रेड करने के प्रस्ताव से गांवों का विकास होगा।
उन्होंने इस बजट को मिलाजुला बजट बताते हुए कहा कि पिछड़े राज्यों को कुछ सुविधाएं मिलनी चाहिए, मगर नहीं मिलीं।
–