पटना: बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने कई विधायकों, विधान पार्षदों को दिल्ली जाने का टिकट थमाया है। टिकट यानी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी का टिकट। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी महागठबंधन, हर जगह विधानमंडल सदस्यों को महत्व मिला है। विधानसभा और विधान परिषद के ऐसे कम से कम एक दर्जन सदस्य हैं, जो इस चुनाव में दिल्ली जाने की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को परवान चढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
बात राजग की करें तो इसके प्रमुख घटक दल, जनता दल (युनाइटेड) ने कई विधायकों और विधान पार्षदों को चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि राजग के दूसरे प्रमुख घटक भाजपा ने इस बार किसी विधायक को टिकट नहीं दिया है।
जद (यू) की विधायक कविता सिंह को पार्टी ने सीवान जैसी महत्वपूर्ण सीट से ‘तीर’ थमाया है, तो वहीं राज्य सरकार में मंत्री ललन सिंह को मुंगेर संसदीय क्षेत्र के रास्ते दिल्ली पहुंचने का टिकट दिया गया है। इसी तरह जद (यू) ने विधायक दिनेश चंद्र यादव को मधेपुरा से, जबकि गिरधारी यादव को बांका और अजय मंडल को भागलपुर से चुनावी मैदान में उतारा है।
विधायकों को लोकसभा के टिकट देने के सवाल पर जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं, “विधायक और विधान पार्षद अगर योग्य हैं और संबंधित क्षेत्र में चुनाव जीतने की स्थिति में हैं, तो उन्हें पार्टी लोकसभा का टिकट देती है।”
उन्होंने कहा कि विधायक जमीन से जुड़े होते हैं, उन्हें क्षेत्र का अनुभव होता है, जिसका लाभ लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिलता है।
जद (यू) की तरह लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने भी विधान पार्षद और बिहार के मंत्री पशुपति कुमार पारस को हाजीपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है।
विपक्षी महागठबंधन की बात करें तो इसके प्रमुख घटक दल, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी अपने कई विधायकों और विधान पार्षदों को दिल्ली जाने के टिकट बांटे हैं।
राजद ने पांच विधायकों को लोकसभा चुनाव के टिकट दिए हैं। पार्टी ने राज्य के पूर्व वित्तमंत्री और विधायक अब्दुल बारी सिद्दिकी को महत्वपूर्ण दरभंगा सीट से प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं विधायक चंद्रिका राय को सारण और शिवचंद्र राम को हाजीपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। राजद ने विधायक सुरेंद्र यादव को जहानाबाद से तथा विधायक गुलाब यादव को झंझारपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, “जो व्यक्ति जिस क्षेत्र में रहता है, उसमें आगे बढ़ना चाहता है। राजनीति का क्षेत्र भी अलग नहीं है। क्षेत्र के सामाजिक बनावट को देखते हुए राजनीतिक दल उम्मीदवार तय करते हैं, जो क्षेत्र में जीतने की स्थिति में रहता है उसे टिकट दिया जाता है। विधायकों को टिकट देने में कोई बुराई नहीं है।”
महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) की ओर से खुद जीतन राम मांझी गया संसदीय सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी मौजूदा समय में विधायक हैं।
इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी तत्कालीन विधायक गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल सहित कई नेताओं को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में टिकट दिए थे, और इनमें से कई दिल्ली पहुंच भी गए थे।
बिहार की 40 लोकसभा सीटों के चुनाव के लिए मतदान सभी सात चरणों में होना है।
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