संगरूर/चंडीगढ़ : पंजाब के संगरूर जिले के एक गांव में 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरे दो वर्षीय बच्चे फतेहवीर सिंह को मंगलवार को बोरवेल से निकाले जाने के बाद मृत घोषित कर दिया गया। बच्चा गुरुवार को बोरवेल में गिर गया था।
अधिकारियों ने कहा कि बोरवेल से निकाले जाने के फौरन बाद बच्चे को घटनास्थल से करीब 130 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ के पीजीआई हॉस्पिटल ले जाया गया। हालांकि, बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में चिकित्सकों की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बच्चे की मौत पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, बच्चे फतेहवीर की दुखद मौत के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। मैं प्रार्थना करता हूं कि वाहेगुरू उसके परिवार को इस बड़े नुकसान को सहन करने की ताकत दें।
मुख्यमंत्री ने कहा, सभी डीसी (उपायुक्तों) से किसी भी खुले बोरवेल के बारे में रिपोर्ट मांगी है ताकि भविष्य में इस तरह की भयावह दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
बच्चे के दादा रोही सिंह ने घटनास्थल पर मौजूद पत्रकारों से सवालिया लहजे में कहा, जब उसकी मौत हो चुकी थी तो फिर उसे अस्पताल क्यों ले जाया गया?
उन्होंने दावा किया कि बच्चे के शरीर पर गंभीर जख्म थे। बोरवेल से उसे रस्सी का इस्तेमाल कर निकाला गया। पीजीआई के आपातकालीन वार्ड के एक स्वास्थ्यकर्मी ने पत्रकारों को बताया कि बच्चे का शरीर बुरी तरह से सड़ चुका था और बदबू आ रही थी।
उसने कहा, ऐसा लगता है कि बच्चे की दो दिन पहले मौत हो गई। बच्चा छह जून को बोरवेल में गिर गया था। उसे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बचाव दल द्वारा बोरवेल से निकाला गया।
संगरूर के उपायुक्त घनश्याम थोरी ने कहा कि यह एनडीआरएफ द्वारा किए गए सबसे कठिन अभियानों में से एक था। बड़े पैमाने पर बचाव अभियान में विशेषज्ञता की कमी और तकनीकी अड़चनों को देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
इस बीच, राज्य सरकार द्वारा समय पर बच्चे को निकाल पाने में नाकाम रहने पर संगरूर में ग्रामीणों के बीच तनाव व्याप्त हो गया। संगरूर में जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर सुनाम प्रखंड के भगवानपुरा गांव की ओर जाने वाले सड़क पर हजारों की संख्या में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने जाम लगा दिया, जहां यह घटना घटी।