लंदन : ब्रिटेन की संसद ने मंगलवार को ब्रेक्सिट समझौते को खारिज कर दिया, जिससे यूरोपीय संघ (ईयू) से देश के बाहर होने (ब्रेक्सिट) के मुद्दे पर जटिलता बढ़ गई है।संसद के सदस्यों (सांसदों) ने पांच दिन की बहस के बाद ब्रिटिश सरकार और यूरोपीय संघ के बीच हुए इस समझौते के खिलाफ मतदान किया।
समझौते के पक्ष में 202 मत पड़े जबकि 432 इसके खिलाफ पड़े। इसे 1920 के दशक के बाद ब्रिटिश सरकार के लिए सबसे बड़ी हार बताया जा रहा है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के पास संसद में प्लान बी के लौटने के लिए तीन दिन का समय है। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए 29 मार्च की तिथि निर्धारित है।
मे ने सरकार को पहुंचे भारी नुकसान पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, हर दिन जो इस मुद्दे को हल किए बिना गुजरता है, उसका मतलब अधिक अनिश्चितता, अधिक कड़वाहट और अधिक विद्वेष है।
लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने समझौते को लेकर सरकार की हार होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव पर हाउस ऑफ कॉमन्स में बुधवार को बहस होगी।
किंग्स कॉलेज लंदन में रिसर्च एसोसिएट डॉ. एलन वेजर ने वोट के बाद सिन्हुआ को बताया कि जितनी अपेक्षा थी, उससे कहीं बड़ी हार ने देश को अनिश्चितता की ओर धकेल दिया है।
उन्होंने कहा, यह करीब तय लग रहा है कि उनका (मे का) समझौता, जिसे तैयार करने के लिए उन्होंने ढाई साल बातचीत की, अब यह डूब चुका है।
मुख्य वोट से पहले, सांसदों ने कंजर्वेटिव सांसद जॉन बैरन के एक संशोधन प्रस्ताव पर मतदान किया, जिसे यूरोपीय संघ के समझौते के बिना ब्रिटिश सरकार को उत्तरी आयरलैंड बैकस्टॉप नियम को समाप्त करने का अधिकार देने के लिए तैयार किया गया था। इसके पक्ष में 24 और विरोध में 600 मत पड़े, जिसके चलते इसे हार का मुंह देखना पड़ा।