प्रदीप शर्मा
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आमने-सामने आ गए है. उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि अगर उन्हें लखनऊ में बसें पहुंचाने में दिक्कत है तो नोएडा और गाजियाबाद के डीएम को 12 बजे तक दे दें. इस पर प्रियंका गांधी की ओर से योगी सरकार को पत्र लिखकर बताया गया है कि बसें शाम पांच बजे तक नोएडा और गाजियाबाद पहुंचा दी जाएंगी. प्रियंका ने पत्र लिखकर यूपी सरकार से कहा कि बसें राजस्थान और दिल्ली से आ रही हैं. इनके लिए दोबारा परमिट दिलाने का काम जारी है इसमें कुछ घंटे लगेंगे. इसलिए शाम 5 बजे तक बसें पहुंचा दी जाएंगी।
इससे पहले यूपी सरकार ने प्रियंका गांधी को पत्र लिखकर कहा था, ”आपके पत्र के अनुसार आप लखनऊ में बस देने में असमर्थ हैं और नोएडा, गाजियाबाद बॉर्डर पर ही बस देना चाहते हैं. ऐसी स्थिति में गाजियाबाद के जिलाधिकारी को 12 बजे तक 500 बस उपलब्ध करा दें. गाजियाबाद के जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है. गाजियाबाद में जिला प्रशासन द्वारा सभी बसों को रिसीव किया जाएगा और उनका उपयोग होगा.”
पत्र में आगे लिखा है, ”कृपया गाजियाबाद में कौशाम्बी बस अड्डा और साहिबाबाद बस अड्डे में बसें उपलब्ध कराने का कष्ट करें. इसके अतिरिक्त 500 बसें नोएडा में जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर को एक्सपो मार्ट के निकट ग्राउंड पर उपलब्ध करा दें. संबंधित जिलाधिकारी बसों का परमिट, फिटनेस, इन्श्योरेंस आदि के अभिलेख व चालक के लाइसेंस और परिचालक के अभिलेख चेक कर बसों का उपयोग तत्काल करेंगे.”
प्रियंका गांधी ने प्रवासी मज़दूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए दिल्ली में ग़ाज़ियाबाद और नोएडा से 500-500 बसें चलाने की इजाज़त यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांगी थी. जिसे योगी सरकार ने मंजूरी देते हुए कांग्रेस से सभी बसों को हैंडओवर करने के साथ फिटनेस सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस मांगे थे. जिस पर देर रात प्रियंका गांधी की ओर से जवाब दिया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने प्रियंका गांधी को लिखे पत्र में कांग्रेस से सभी बसों के हैंडओवर समेत गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट और बस ड्राइवरों का लाइसेंस मंगलवार सुबह 10 बजे तक लखनऊ में जमा कराने के लिए कहा था. कांग्रेस ने रात 2 बजकर 10 मिनट पर इस पत्र का जवाब दिया।
प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार को लिखी चिट्ठी में इस कदम को “पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित” बताया और सवाल किया है कि राज्य की सीमा से बसों को खाली कराकर लखनऊ में औपचारिक रूप से हैंडओवर करने के पीछे क्या औचित्य है।