प्रदीप शर्मा
आज सुप्रीम कोर्ट ने चार्जशीटेड नेताओं के चुनाव लड़ने से रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि इस मामले पर संसद को ही कानून बनाना चाहिए. कोर्ट के इस फैसले से मौजूदा दौर के कई बड़े नेताओं को राहत मिली है. इन नेताओं में बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण अडवाणी भी शामिल हैं. ये वे नेता हैं जिनके खिलाफ किसी न किसी मामले में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है लेकिन कोर्ट का फैसला नहीं आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क़ानून बनेगा तभी अपराधी राजनीति से दूर होंगे और वक़्त आ गया है कि संसद जल्द क़ानून बनाए. संविधान पीठ ने कहा कि पैसा, बाहुबल को राजनीति से दूर रखना संसद का कर्तव्य है और राजनीतिक अपराध लोकतंत्र की राह में बाधा है. कोर्ट ने कहा है कि उम्मीदवारों को लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होगी. उम्मीदवारों को फ़ॉर्म में मोटे अक्षरों में चुनाव आयोग को जानकारी देनी होगी और पार्टियों को भी आपराधिक केसों की जानकारी देनी होगी. पार्टियां इन जानकारियों को वेबसाइट पर डालेंगी, इनका प्रचार करेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूषित राजनीति को साफ करने के लिए बड़ा प्रयास करने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने संसद को एक कानून लाना चाहिए ताकि जिन लोगों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं वो पब्लिक लाइफ में ना आ सकें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद को इस कैंसर का उपचार करना चाहिए और ये लोकतंत्र के लिए घातक है. कोर्ट ने कहा कि पांच साल से ज़्यादा सज़ा वाले मुकदमों में चार्ज फ्रेम होने के साथ ही जनप्रतिनिधियों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता. उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक नहीं. पार्टियों को चुनाव से पहले नामांकन के बाद तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उम्मीदवारों के सभी रिकॉर्ड की तफसील से प्रकाशित प्रसारित करानी होगी. कोर्ट ने कहा कि ये संसद का कर्तव्य है कि वो मनी एंड मसल पावर को राजनीति से दूर रखे. कोर्ट ने कहा कि किसी मामले में जानकारी प्राप्त होने के बाद उस पर फैसला लेना लोकतंत्र की नींव है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का अपराधीकरण चिंतित करने वाला है.
Tellbilo Customer Satisfaction Survey
आपराधिक मामलों में मुकदमों का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों को आरोप तय होने के स्तर पर चुनाव लड़ने के अधिकार से प्रतिबंधित करना चाहिए या नहीं इस सवाल को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह फैसला दिया. पांच जजों की ये संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया जिसमें जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ़ नरीमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थे. आपको बता दें कि 1518 नेताओं पर केस दर्ज हैं जिसमें 98 सांसद हैं. नेताओं पर 35 पर बलात्कार, हत्या और अपहरण के आरोप हैं. महाराष्ट्र के 65, बिहार के 62, पश्चिम बंगाल के 52 नेताओं पर केस दर्ज हैं. लालकृष्ण आडवाणी, मृरली मनोहर जोशी, उमा भारती, पप्पू यादव जैसे कई नेताओ को आज राहत मिली है.