प्रदीप शर्मा
CBI में फेरबदल के बीच आज नई दिल्ली में कैबिनेट की बैठक हुई. कैबिनेट ब्रिफिंग में शीर्ष मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद मौजूद थे. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर कहा कि सीबीआई निदेशक और विशेष निदेशक के एक दूसरे के खिलाफ आरोपों के चलते विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण हालात बने हैं।
जेटली ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने को लेकर कहा, ”सीबीआई की संस्थागत ईमानदारी और विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए इसके निदेशक और विशेष निदेशक को हटाने का फैसला लिया गया.” सीवीसी ने दोनों शीर्ष अधिकारियों को हटाने की सिफारिश की।
वित्त मंत्री कहा, ”एसआईटी की जांच जारी रहने तक अंतरिम व्यवस्था के तौर पर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा, विशेष निदेशक राकेश अस्थाना छुट्टी पर रहेंगे.” केंद्र सरकार ने भी साफ किया कि अगर अधिकारी निर्दोष होंगे तो उनकी वापसी हो जाएगी. आलोक वर्मा की जगह फिलहाल संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया है।
राफेल डील की जांच की वजह से आलोक वर्मा की छुट्टी किये जाने के विपक्षी दलों के आरोपों को जेटली ने बकवास बताया. उन्होंने कहा, ”क्या दो अधिकारी जो जांच का सामना कर रहे हैं वो ही अपनी जांच करवाएं? विपक्ष के आरोप गलत हैं.” जेटली ने आगे कहा कि विपक्ष अगर किसी अधिकारी का समर्थन करता है तो उससे अधिकारी की छवि को भी नुकसान होगा. सीबीआई पर सवाल उठे तो इसका फायदा घोटालेबाजों को ही होगा। अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई देश की प्रीमियर जांच एजेंसी है. उसकी गरिमा बनी रहे यह जरूरी है. सीबीआई की संस्थागत गरिमा बनाए रखना और इस दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है।
राव ने पद संभालते ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही टीम में बड़े बदलाव किए. विपक्षी दलों ने इस फैसले पर भी सवाल उठाए हैं। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट शुक्रवार को वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगा. वर्मा ने संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को एजेंसी का अंतरिम निदेशक बनाने के सरकार के फैसले को भी चुनौती दी।