नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने केंद्र सरकार की न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस व ए.एस.बोपन्ना के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति की सिफारिश पर पुनर्विचार याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया।
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई व सूर्यकांत की शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति की सिफारिश की।
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, कॉलेजियम ने 12 अप्रैल, 2019 को उपर्युक्त अनुशंसा को फिर से दोहराया जिसमें कहा कि (1) अनिरुद्ध बोस और (2) ए.एस. बोपन्ना की योग्यता, आचरण या अखंडता के बारे में कुछ भी प्रतिकूल नहीं है।
अखिल भारतीय उच्च न्यायालय न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता सूची में न्यायमूर्ति बोस 12वें स्थान पर हैं, जबकि न्यायमूर्ति बोपन्ना 36वें स्थान पर है।
दोनों न्यायाधीशों की 12 अप्रैल को कॉलेजियम द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए सिफारिश की गई थी। कॉलेजियम ने यह सिफारिश सर्वोच्च न्यायालय की पीठ में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के साथ योग्यता, वरिष्ठता जैसे कारकों के विचार के बाद किया गया था।
कॉलेजियम ने कहा, हालांकि, केंद्र ने न्यायमूर्ति बोस व बोपन्ना को पदोन्नति देने की सिफारिश को खारिज कर दिया था, क्योंकि यह क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के खिलाफ जाएगा, लेकिन इसका मामले पर एक अलग दृष्टिकोण है।
कॉलेजियम ने केंद्र की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह उपरोक्त दो न्यायाधीशों की सिफारिश करने के दौरान मापदंडों से वाकिफ हैं और इसलिए संबंधित उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के बीच उनकी वरिष्ठता का पालन करते हुए और अखिल भारतीय स्तर पर उनकी संयुक्त वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए इसने दो न्यायाधीशों के पदोन्नति के प्रस्ताव को दोहराया है।
वर्तमान में न्यायमूर्ति गवई बांबे उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं और न्यायमूर्ति कांत हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश है।
वेबसाइट पर प्रकाशित कॉलेजियम की सिफारिश के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने बुधवार को बैठक की।
इस बैठक में दो न्यायाधीशों की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पदोन्नति की सिफारिश का फैसला लिया गया।वर्तमान में शीर्ष अदालत में 27 न्यायाधीश हैं, जबकि इनकी स्वीकृत संख्या 31 है।