नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में अपनी लंबित अग्रिम जमानत याचिका के समर्थन में रिकार्ड में अतिरिक्त दस्तावेजों को जमा कराने की मंजूरी दे दी।
न्यायमूर्ति सुनील गौर ने चिदंबरम की अतिरिक्त दस्तावेजों को जमा करानेवाली याचिका को मंजूरी दे दी।
चिदंबरम ने यह कदम कानून मंत्रालय द्वारा सरकार को यह सूचित करने के बाद उठाया है, जिसमें कहा गया था कि सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) द्वारा पूर्व मंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी हासिल करने में किसी भी कानून की अवहेलना नहीं की गई है।
अधिवक्ता अर्शदीप सिंह के माध्यम से दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया, 3 फरवरी को व्यापक रूप से यह बताया गया कि कानून मंत्रालय ने सरकार को सूचित किया है कि सीबीआई को याचिकाकर्ता (चिदंबरम) के खिलाफ इस तत्काल मामले में मुकदमा चलाने को मंजूरी दी जा सकती है।
याचिका में आगे कहा गया, ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ सीबीआई द्वारा दी गई मंजूरी के अनुरोध के लिए कानून मंत्रालय की राय मांगी गई थी।
अधिवक्ता ने कहा कि रिकॉर्ड पर जो तथ्य हैं, उनसे पता चलता है कि सीबीआई ने इस मामले में अपनी जांच पूरी कर ली है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 25 जनवरी को आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की जा रही है।
जांच एजेंसियों ने चिदंबरम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है, क्योंकि उन्होंने पूछताछ के दौरान गलत जानकारी दी है।
चिदंबरम को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी गई है।
ईडी और सीबीआई जांच कर रहे हैं कि चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने 2007 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से किस प्रकार से मंजूरी प्राप्त की, जिस दौरान उनके पिता वित्त मंत्री थे।
कार्ति चिदंबरम को 28 फरवरी को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उन पर आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी मंजूरी दिलवाने के लिए कथित रूप से धन लेने का आरोप है। उन्हें बाद में जमानत दे दी गई थी।
कार्ति के चार्टर्ड अकाउंटेंट एस. भास्कररमन को भी गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।