नई दिल्ली : पूर्व वित्तमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने शुक्रवार को अंतरिम बजट को लेखानुदान नहीं, बल्कि वोटों का लेखाजोखा बताया और कहा कि मोदी सरकार ने वित्तीय स्थिरता को और कमजोर किया है।
चिदंबरम ने यहां मीडिया से कहा, यह वोट ऑन अकाउंट नहीं बल्कि अकाउंट फॉर वोट है।
उन्होंने कहा, यह एक पूर्ण बजट था, जिसके साथ चुनाव प्रचार का भाषण भी था। ऐसा करके सरकार ने पुरानी परंपरा को रौंदा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को सत्ता में वापसी की कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए निराशापूर्वक व बिना विचारे काम कर रही है और संविधान का उल्लंघन कर रही है।
उन्होंने कहा कि बड़ी बात जो ध्यान रखने योग्य है, वह यह कि मौजूदा सरकार ने वित्तीय स्थिरता को और अधिक कमजोर किया है।
उन्होंने कहा, सरकार लगातार दूसरे साल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से चूक गई है। संशोधित अनुमान 3.3 फीसदी से 3.4 फीसदी की चूक को दिखाता है। यह 2019-20 के लिए और भी बदतर है। सरकार ने 3.4 फीसदी के एफडी का प्रस्ताव दिया है। सरकार ने एफआरबीएम एक्ट को दरकिनार कर दिया है।
चिदंबरम ने कहा, इसी तरह से सरकार साल का अंत 2.5 फीसदी के चालू खाता घाटा (सीएडी) के साथ करेगी, जबकि बीते साल सीएडी 1.9 फीसदी था।
गायों के कल्याण के लिए योजना, मत्स्य पालन के लिए नया विभाग, असंगठित मजदूरों के लिए पेंशन योजना सहित अंतिम समय में की गई सरकार की घोषणाओं का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा, अगर ये महत्वपूर्ण और जरूरी थे तो सरकार बीते पांच सालों से क्या कर रही थी।
अंतरिम बजट में नौकरियों व शिक्षा पर चुप्पी का जिक्र करते हुए पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने मोदी सरकार का मखौल उड़ाया। चिदंबरम ने कहा कि सभी इसे पकोड़ानामिक्स समझते हैं।
उन्होंने कहा, बजट भाषण से दो शब्द शिक्षा व रोजगार गायब थे। वित्तमंत्री पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत 10 बिंदु के विजन डाक्यूमेंट में शिक्षा व रोजगार के बारे में कुछ नहीं था।
चिदंबरम ने कहा, बजट में नौकरियों के बारे में कुछ नहीं है, क्योंकि अगर वे नौकरियों के बारे में कुछ कहते तो युवा इसे पकोड़ानॉमिक्स कहकर खारिज करेंगे।