नई दिल्ली : भारी भरकम राशि से तैयार स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और ब्रिटिश शासन के दौरान जेल में पैसे बचाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के लिफाफे बनाने की साधारण कला के बीच की विषमताओं को इंगित करते हुए पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने महात्मा गांधी द्वारा अपने सह-कैदी के कौशल की तारीफ करते हुए गुजराती के वाक्य वल्लभभाई नी कला को याद किया।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में मंगलवार को शुरू हुई अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी रचनात्मकता और स्वतंत्रता की शुरुआती परिचर्चा में महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल गांधी ने भारतीय जेल साहित्य के विशाल समूह का हवाला दिया, खासकर काफी पढ़ी जाने वाली महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और भगत सिंह द्वारा जेल में लिखी गई पुस्तकों का जिक्र किया।
पूर्व सिविल सेवक ने कहा, लेकिन, दूसरी तरफ 1932-33 में जेल की सजा के दौरान पटेल ने खुद को असाधारण बौद्धिक गतिविधि के बजाए शिल्प गतिविधि में व्यस्त रखा था। उन्होंने लिफाफे बनाए और अपनी मितव्ययता और रचनात्मकता से सामग्री का प्रयोग कर उस काम को से शिद्दत से करने पर ध्यान केंद्रित किया।
गोपाल गांधी ने जेल में सजा काटने के दौरान अपने दादा महात्मा गांधी द्वारा देवदास (महात्माोगंधी के चौथे व सबसे छोटे बेटे) को भेजे गए राजनीतिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक रूप से अनमोल पत्रों को याद किया। कई पत्र वल्लभभाई पटेल द्वारा तैयार लिफाफे में भेजे गए थे, जिन्हें देवदास ने संजो कर रखा।
11 मई 1932 को लिखे एक पत्र में महात्मा गांधी ने उल्लेख किया था कि पत्र को जिस लिफाफे में भेजा जा रहा है, वह पटेल द्वारा बनाया गया है। उन्होंने लिखा था, हमने पाई पाई करके पैसा बचाया है। एक अन्य पत्र में गांधीजी ने अपने बेटे से लिफाले में वल्लभभाई नी कला को पहचानने को कहा था। एक अन्य पत्र में उन्होंने उनके दृढ़ निश्चय की सराहना करते हुए कहा था कि जब वे जेल से रिहा हो जाएंगे तो लिफाफे की एक दुकान खोलेंगे।
लेकिन, इन लिफाफों के लिए कागज कहां से आता था?
इस पर गोपाल गांधी ने कहा, इसे खरीदा नहीं गया था। याद कीजिए वे पाई पाई बचाने की बात कह रहे थे। यह पेपर वहां आने वाले पत्रों से बनाया जाता था।
गांधी ने कहा, एक साधारण सा लिफाफा कहता है कि उस व्यक्ति के लिए दुनिया की सबसे लंबी करीब 182 मीटर और भारी भरकम राशि वाली प्रतिमा का निर्माण किया गया, जो पाई पाई बचाने के लिए कागज के एक ही हिस्से का प्रयोग सबसे छोटी वस्तु बनाने के लिए करता था।
पैनेल में विक्टोरिया एंड अल्बर्ट संग्रहालय के अध्यक्ष निकोलस कोलेरिज और अशोका विश्वविद्यालय के कुलपति प्रताप भानु मेहता शामिल थे।