नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ वाम मोर्चे के साथ हाथ मिलाने को तैयार है। हालांकि आम चुनाव के बाद तृणमूल से कांग्रेस के गठबंधन की बात भी चल रही है।
कांग्रेस को प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में महज चार सीटों पर जीत मिली थी और पार्टी को करीब 10 फीसदी वोट मिले थे।
केंद्रीय स्तर के नेताओं के तृणमूल कांग्रेस के साथ जाने की आकांक्षा के विरुद्ध प्रदेश नेतृत्व वाम मोर्चे के साथ गठजोड़ पर जोड़ दे रहा है। विधानसभा चुनाव 2016 के दौरान भी कांग्रेस, वाम दलों के साथ थी।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले कांग्रेस नेताओं ने आईएएनएस को बताया कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के साथ संयुक्त रूप से चुनाव स्पर्धा में उतरने के लिए 42 में से कम से कम 30 सीटों पर सहमति बन गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी की इस मसले पर बातचीत के अलावा गठबंधन के स्वरूपों को लेकर बंगाल कांग्रेस की वाम नेताओं से बातचीत चल रही है।
बंगाल में कांग्रेस के एक नेता ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, माकपा और भाकपा समझौते के लिए तैयार हो गईं हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत प्रगति पर है। हम संयुक्त रूप से कम से कम 30 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि वाम मोर्चा के घटक फॉरवर्ड ब्लॉक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) समझौते का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हुईं हैं।
आरएसपी ने 2016 में कांग्रेस के साथ गठजोड़ का सख्त विरोध किया था।
कांग्रेस बंगाल की योजना को लेकर केंद्रीय और प्रदेश, दोनों स्तरों पर विभाजित दिख रही है। केंद्रीय नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस के साथ जाना चाहता है जबकि प्रदेश नेतृत्व का एक बड़ा वर्ग वाम दलों के साथ गठजोड़ करने का आग्रह कर रहा है। एक वर्ग ऐसा भी है जो अकेले दम पर चुनाव लड़ने पर जोड़ दे रहा है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने सितंबर में ममता बनर्जी के धुर विरोधी अधीर रंजन चौधरी को प्रदेश इकाई के प्रमुख पद से हटाकर तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद सोमेन मित्रा को उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। मित्रा 2014 में वापस कांग्रेस में आए थे।
हालांकि मित्रा ने केंद्रीय नेतृत्व की उम्मीदों के विपरीत ममता के साथ जाने का विरोध किया है। तृणमूल द्वारा कांग्रेस कार्यकर्ताओं व समर्थकों पर कथित हमले की बात करते हुए मित्रा चुनाव अकेले दम पर लड़ने के पक्ष में हैं।
दूसरी तरफ, पार्टी के प्रदेश महासचिव ओ. पी. मिश्रा मानते हैं कि वाम दलों से समझौता कांग्रेस के लिए जरूरी है।
मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, कांग्रेस-वाम दल गठबंधन होने से भाजपा के मतों की हिस्सेदारी 2014 के 17 फीसदी से घटकर 10.2 फीसदी पर आ गई थी। वाम दलों से समझौता खासतौर से जरूरी है क्योंकि तृणमूल का भाजपा के साथ अनकहा समझौता है।