नई दिल्ली : कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि जरूरी 54 लोकसभा सीटों से दो सीटें कम होने के कारण वह लोकसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए दावा नहीं करेगी।
पार्टी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे।
नियमानुसार, विपक्ष का नेता बनाने के लिए किसी पार्टी के पास लोकसभा की कुल 545 सीटों की 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए। यह पद कैबिनेट स्तर का है। लेकिन कांग्रेस के पास सिर्फ 52 सीटें हैं।
यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, लोकसभा में जरूरी 54 सीटों से दो सीटें कम होने के कारण हम लोकसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए दावा नहीं करेंगे। हालांकि सरकार का यह दायित्व भी है कि.. क्या वह किसी दल को औपचारिक रूप से प्रमुख विपक्षी के तौर पर घोषित करता है।
पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें मिलने के कारण लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं दिया गया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ विलय करने पर विचार कर रही है, सुरजेवाला ने कहा कि उनके पास दोनों पार्टियों के विलय की कोई जानकारी नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस अन्य दलों के साथ मिलकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए दावा करेगी? उन्होंने कहा, नवनिर्वाचित संसदीय दल पार्टी की रणनीति तय करेगा।
कांग्रेस संसदीय दल ने लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार शनिवार को बैठक की और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी को इसका नेता चुना गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल अभी भी अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए जोर दे रहे हैं, सुरजेवाला ने कहा, राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहेंगे। लोगों को जो कहना है, वे कहते रहेंगे। मीडिया को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश करने से पहले इंतजार करना होगा। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने उनसे (राहुल गांधी) पार्टी अध्यक्ष बने रहने का आग्रह किया है।
लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा समर्थन पाने के लिए राष्ट्रवाद और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों का सहारा लेने के बारे में सवाल पूछने पर सुरजेवाला ने डोकलाम पर ध्यान दिलाया, जहां 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो महीनों तक गतिरोध रहा था।
उन्होंने कहा, डोकलाम में आज भी चीनी सेना भारतीय चौकी से सिर्फ 10 मीटर दूर तैनात है जहां एक सड़क बनाई गई है। यह भारत सरकार की एक रणनीतिक असफलता है।