प्रदीप शर्मा
केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा के खिलाफ अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सोमवार को सीलबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय में दाखिल की। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी ।
सुनवाई के दौरान सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव ने भी एजेंसी प्रमुख के तौर पर 23 अक्टूबर के बाद से अब तक किए गए अपने फैसलों के बारे में रिपोर्ट दाखिल की। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक ने सीवीसी जांच की निगरानी की, जो 10 नवंबर को पूरी हुई। सीजेआई ने कहा कि रजिस्ट्री रविवार को भी खुली हुई थी, लेकिन रिपोर्ट दाखिल करने के संबंध में रजिस्ट्रार को कोई सूचना नहीं दी गई। बाद में सॉलिसीटर जनरल ने माफी मांगी और कहा कि यद्यपि वह परिस्थितियों के बारे में स्पष्टीकरण नहीं दे रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट सौंपने में उनकी तरफ से विलंब हुआ।
रिश्वतखोरी विवाद में सीबीआई प्रमुख वर्मा और जांच एजेंसी में नंबर दो राकेश अस्थाना को 23 अक्तूबर को छुट्टी पर भेज दिया गया था। अस्थाना ने वर्मा पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे। इसके बाद सीवीसी ने इस मामले की जांच शुरू की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा के खिलाफ सीवीसी जांच की निगरानी के लिए पूर्व जस्टिस एके पटनायक को नियुक्त किया था। कोर्ट ने मामले की जांच दो सप्ताह में पूरी कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। सीबीआई निदेशक वर्मा सीवीसी प्रमुख केवी चौधरी की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय आयोग के समक्ष पेश हो चुके हैं और अपना बयान रिकॉर्ड कराया था। वर्मा अपने ऊपर लगे रिश्वतखोरी के आरोपों से इनकार करते रहे हैं।