नई दिल्ली : नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) जम्मू, श्रीनगर और लेह हवाई अड्डों की अति संवेदनशील ऑडिट रिपोर्ट पर अंतिम जांच के बाद जल्द ही इन हवाईअड्डों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ से लेकर सीआईएसएफ को प्रदान करने को लेकर अपनी सिफारिश केंद्रीय गृह मंत्रालय को देगा।
हालांकि यह फैसला अभी नहीं लिया गया है कि क्या केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) इन हवाईअड्डों को आंतरिक और बाहरी सुरक्षा प्रदान करेगा। इन हवाईअड्डों पर कितने सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाएगी, इस पर भी फैसला अभी नहीं लिया गया है।
बीसीएएस के सूत्रों ने बताया कि आंतरिक सुरक्षा के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को दी जाएगी, जबकि 1990 से पूरी सुरक्षा प्रदान कर रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को बाहरी सर्कल की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी।
नाम नहीं बताने की शर्त पर मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, बीसीएएस द्वारा ऑडिट रिपोर्ट की जांच अंतिम चरण में है और जल्द ही इस पर सिफारिश गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। मंत्रालय अंतिम फैसला लेगा कि क्या सीआईएसएफ जम्मू, श्रीनगर और लेह हवाईअड्डों की आंतरिक और बाहरी दोनों सुरक्षा प्रदान करेगा या सीआरपीएफ के पास आउटर सर्कल की सुरक्षा की जिम्मेदारी रहने दी जाएगी।
उन्होंने बताया, प्रत्येक हवाईअड्डे पर सीआईएसएफ के कितने कर्मियों की तैनाती की जाएगी, इस पर भी गृह मंत्रालय की मंजूरी के आधार पर फैसला लिया जाएगा। गृह मंत्रालय ने पिछले साल नवंबर में उन्हीं शर्तो पर इन हवाईअड्डों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ से लेकर सीआईएसएफ को सौंपने का निर्णय लिया, जिन शर्तो पर अन्य हवाईअड्डों पर सीआईएसएफ की तैनाती की जाती है।
इस प्रस्ताव का मकसद भारतीय उड्डयन क्षेत्र में समरूपता लाना था। देश में परिचालित 101 हवाईअड्डों में से 61 पर सीआईएसएफ की तैनाती की गई है। इन तीन हवाईअड्डों को मिलाने पर सीआईएसएफ की सुरक्षा के अधीन कुल 64 हवाईअड्डे होंगे।
ऑडिट रिपोर्ट सीआईएसएफ, भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण (एएआई) और बीसीएएस की संयुक्त टीम द्वारा तैयार की गई है। रिपोर्ट दिसंबर के आखिर में बीसीएस को सौंपी गई, जिसमें खामियों के साथ-साथ उपकरण और सुरक्षाकर्मी समेत विभिन्न जरूरतों का जिक्र किया गया है।
नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, ऑडिट रिपोर्ट बीसीएएस के पास है और गृह मंत्रालय की अंतिम मंजूरी आनी बाकी है, इसलिए इन तीनों हवाईअड्डों पर सीआईएसएफ द्वारा किए जाने वाले बदलाव के बारे में बताना ठीक नहीं होगा। लेकिन ऑडिट रिपोर्ट में हमने जिक्र किया है कि इन हवाईअड्डों पर सुरक्षा के मौजूदा ढांचे में बदलाव नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, अगर हम किसी प्रकार के बदलाव की बात करें तो वहां और सीसीटीवी कैमरे लगाए जा सकते हैं। हालांकि हमने इन हवाईअड्डों पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए जवानों की संख्या, उपकरण और हथियारों की जरूतरों का ऑडिट रिपोर्ट में जिक्र किया है।
अधिकारी ने कहा, एक अनुमान के आधार पर इन हवाईअड्डों पर चौबीस घंटे सुरक्षा के लिए 1,200 सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तीनों हवाईअड्डों पर 2018 में करीब 50 लाख हवाई यात्री पहुंचे थे, जोकि इनकी क्षमता का लगभग दोगुना है।