नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को गौतम गंभीर के दो मतदाता पहचान-पत्र मामले में पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी (आप) की उम्मीदवार आतिशी की शिकायत पर फैसला सुरक्षित कर लिया।
आतिशी ने एक याचिका में राज्य चुनाव आयोग से अपने इस आरोप पर रिकार्ड तलब करने की मांग की है कि उनके प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार गौतम गंभीर के पास दो पहचान-पत्र हैं।
महानगर दंडाधिकारी विप्लब डाबास ने कहा है कि राज्य चुनाव आयोग से रिकार्ड और दस्तावेज मंगाने हैं या नहीं इस पर फैसला 13 मई को सुनाया जाएगा।
आतिशी ने तीस हजारी कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 व 31 और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 125ए के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पुलिस जांच के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं।
अतिशी ने कहा है, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में नामांकित होने का हकदार नहीं है। यदि मतदाता सूची में शामिल किए जाने या शामिल होने के मामले में वह गलत घोषणा करता है तो उसे धारा 31 के तहत एक साल तक की जेल हो सकती है।
आतिशी ने यह भी कहा कि गंभीर ने नामांकन के समय रिटर्निग ऑफिसर को सौंपे अपने हलफनामे में कहा था कि वह केवल राजेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र में वोट देने के लिए पंजीकृत हैं और जिसमें उन्होंने अपना मतदाता पहचान पत्र संख्या ईपीआईसी नंबर एसएसएस1357243 दिखाया है।
हालांकि, जांच के बाद यह पता चला कि गंभीर को करोल बाग विधानसभा क्षेत्र में ईपीआईसी नंबर आरजेएन1616218 के साथ मतदान करने के लिए पंजीकृत किया गया था। उन्होंने दावा किया कि यह तथ्य भी जानबूझकर हलफनामा दाखिल करते समय गंभीर द्वारा छुपाया गया।
उन्होंने कहा कि चुनावी हलफनामे में दी गई जानकारी भी उक्त अधिनियम की धारा 125ए के तहत दंडनीय है, जिसमें छह महीने तक की जेल हो सकती है। हलफनामे को लेकर आप उम्मीदवार द्वारा आपत्ति जताए जाने के कारण गंभीर के नामांकन को रोक दिया गया था। दिल्ली में चुनाव 12 मई को होना है।