निवेदिता सिंह
नई दिल्ली :दिल्ली सरकार किसानों को कृषि नीति मसौदे से लुभाने की कोशिश कर रही है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के किसान सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) से हर महीने उच्च बिजली शुल्क के मुद्दे को लेकर बहुत खुश नहीं दिखाई देते हैं।
पश्चिम दिल्ली के हीरन कुदना गांव के एक किसान नरेश कुमार ने कहा, अरविंद केजरीवाल सरकार की पूरे देश में दिल्ली में कम बिजली शुल्क को लेकर सराहना की जा रही है। उन्होंने दिल्ली के लोगों को सबसे कम कीमत पर बिजली देने का दावा किया, लेकिन किसानों को उच्च बिजली दर का भुगतान करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, हमारे नलकूपों के बिजली मीटरों पर निर्धारित प्रभार (फिक्स चार्ज) बहुत ज्यादा है। हमारे नलकूपों के साल भर नहीं इस्तेमाल करने के बावजूद यह हमें काफी महंगा पड़ रहा है। कोई भी किसान नलकूप का इस्तेमाल सिर्फ फसल के मौसम में करेगा, जो अधिकतम दो महीने चलता है। लेकिन हमें बिजली विभाग को साल भर उच्च शुल्क का भुगतान करना होता है।
दिल्ली में कृषि इस्तेमाल के लिए निर्धारित बिजली शुल्क टैरिफ शेड्यूल के अनुसार 125 रुपये प्रति किलोवॉट प्रति माह है।
एक अन्य किसान ने कहा, इस तरह अगर एक किसान के पास नलकूप चलाने के लिए 10 किलोवाट का मीटर है तो उसे कम से कम 1,250 रुपये प्रति महीना भुगतान करना होगा। किलोवाट में वृद्धि होने से शुल्क बढ़ जाता है। यह हमारे द्वारा इस्तेमाल के भुगतान के अतिरिक्त शुल्क होता है।
उन्होंने कहा, कुछ ऐसे महीने होते हैं, जब हमारे पास बिजली के लिए 4,000 रुपये से ज्यादा रुपये होने चाहिए। इससे उत्पादन की कुल लागत बढ़ जाती है और इस संदर्भ में हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है।
इसी तरह की भावनाएं जाहिर करते हुए 65 साल के सतबीर शर्मा ने कहा कि बिजली के उच्च शुल्क की वजह से किसानों के फायदे की गुंजाइश कम हो गई है।
सतबीर शर्मा ने कहा, केजरीवाल सरकार सस्ती बिजली व लोगों को मुफ्त पानी देने के वादे के साथ सत्ता में अई थी। लेकिन किसानों के साथ विपरीत घटित हो रहा है। हमें निर्धारित प्रभार के रूप में बहुत ज्यादा भुगतान करना होता, हालांकि हम नलकूपों का इस्तेमाल बमुश्किल करते हैं। हमें प्रति एकड़ 10,000 रुपये लाभ मिलता है और इसमें से अगर 5,000 या 6,000 रुपये बिजली शुल्क दे देते हैं तो हमारा फायदा क्या है।
दिल्ली के किसान बिजली के अलावा दिल्ली कृषि आयोग की मांग कर रहे हैं।
दिल्ली में किसानों को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है लेकिन अनुमान के अनुसार 20 हजार किसान राष्ट्रीय राजधानी में रहते हैं। दिल्ली में 75 हजार एकड़ जमीन पर खेती की जाती है।
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