नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को अदालत से कहा कि दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) राजद्रोह मामले में सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी लिए बिना जल्दबाजी व गुप्त रूप से आरोपपत्र दाखिल किया।
सरकार ने अदालत से यह भी कहा कि उसे मामले में मंजूरी देने या नहीं देने का निर्णय लेने में एक महीना और लगेगा।दिल्ली सरकार ने मुख्य महानगर दंडाधिकारी दीपक शेरावत के समक्ष पेश अपनी दलील में यह बात कही। मुख्य महानगर दंडाधिकारी ने मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को सूचीबद्ध कर दी।
अदालत ने पिछली सुनवाई में सरकार से जेएनयू मामले में मंजूरी दिए जाने को लेकर एक निश्चित समय सीमा बताने को कहा था। यह मामला वर्ष 2016 का है, जो संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के खिलाफ परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम से जुड़ा है।
आरोपपत्र 14 जनवरी को दाखिल किया गया। इसमें जेएनयू के पूर्व छात्र नेताओं- कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य व सात कश्मीरी छात्रों को आरोपी बनाया गया है।