नई दिल्ली : दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने बीएसएनएल को 2100 मेगाहट्र्ज बैंड पर 5 मेगाहट्र्ज के 4जी स्पेक्ट्रम के आवंटन से पहले कंपनी से 4जी सेवा लांच करने की तैयारी (उपकरणों की खरीद समेत) और नेटवर्क अपग्रेड के लिए धन का विवरण मांगा है।
डीओटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हम बीएसएनएल को 4जी सेवाओं के लिए कुछ (5 मेगाहट्र्ज) स्पेक्ट्रम आवंटित करेंगे। इसके लिए हमने कंपनी से 4जी की तैयारी और उपकरणों की खरीद की योजना का विवरण मांगा है। हम यह भी जानना चाहते हैं कि उनके धन का स्रोत क्या है और 4जी नेटवर्क विस्तार के लिए उनका पूंजीगत व्यय कितना है, ताकि स्पेक्ट्रम का सबसे अच्छा उपयोग हो सके।
अधिकारी ने कहा कि बीएसएनएल को स्पेक्ट्रम का आवंटन एक अवसर लागत है क्योंकि अगर इसे निजी दूरसंचार कंपनियों को नीलाम किया जाता तो इससे सरकार को राजस्व प्राप्त होता। अधिकारी ने कहा, लेकिन, हमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का समर्थन करना है। इसी के साथ हम उनकी योजनाओं और उपकरणों के साथ ही लांचिंग को लेकर की जा रही तैयारी की निगरानी करना चाहते हैं।
अधिकारी ने यह भी कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों को 4जी स्पेक्ट्रम का साथ-साथ आवंटन किया जाएगा लेकिन ये जानकारियां सिर्फ बीएसएनएल से मांगी गई हैं, एमटीएनएल से नहीं। जैसा कि बीएसएनएल के निदेशक मंडल ने प्रस्ताव भेजा था, इस स्पेक्ट्रम की लागत 11,000 करोड़ रुपये है। साल 2017 में बीएसएनएल के निदेशक मंडल ने प्रस्ताव भेजा था कि वे 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में 5 मेगाहट्र्ज का स्पेक्ट्रम चाहते हैं, जिसके लिए वह सरकार को अतिरिक्त हिस्सेदारी की पेशकश करके आंशिक निधि चाहते थे।
यह स्पेक्ट्रम बीएसएनएल के लिए बहुत जरूरी है, ताकि वह पूरे देश में 4जी सेवाएं शुरू कर पाए और प्रतिस्पर्धा में बनी रह सके। लेकिन वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने सरकार द्वारा आंशिक निधि मुहैया कराने का विरोध किया है। इसलिए डीओटी स्पेक्ट्रम के आवंटन से पहले निधि को लेकर आश्वस्त होना चाहता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार बीएसएनएल को स्पेक्ट्रम मुहैया कराते समय यह शर्त रख सकती है कि वह अन्य कंपनियों के साथ टॉवर अवसंरचना को साझा करे और उन्हें लीज पर दूसरी कंपनियों को भी मुहैया कराए।