नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) बोर्ड ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 8.65 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश की है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 10 आधार अंक अधिक है। इससे करीब 5 करोड़ लोगों के वेतनभोगी वर्ग को फायदा होगा।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की बैठक के बाद आईएएनएस से कहा, सीबीटी की आज की बैठक में मुख्य एजेंडा ब्याद दर थी। हर किसी के विचारों को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरों में 10 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गई है, जोकि अब 8.65 फीसदी हो गई है।
साल 2016 के बाद पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गई है। वित्त वर्ष 2015-16 में ब्याज दर 8.8 फीसदी थी, जिसे घटाकर वित्त वर्ष 2016-17 में 8.65 फीसदी कर दिया गया। इसके बाद फिर वित्त वर्ष 2017-18 में इसे घटाकर 8.55 फीसदी कर दिया गया। वित्त वर्ष 2018 में यह पांच साल के सबसे कम स्तर पर किया गया। वित्त वर्ष 2013-14 और 2014-15 के दौरान यह 8.75 फीसदी थी।
उन्होंने कहा, हमने श्रमिकों के धन का अच्छा ध्यान रखा और इसका दुरुपयोग नहीं हुआ। ब्याज दर को बढ़ाकर 8.65 फीसदी करने के बावजूद हमारे पास 151 करोड़ रुपये का अधिशेष रहेगा। मुझे भरोसा है कि वित्त मंत्रालय इसे मंजूरी प्रदान करेगा।
सीबीटी में सरकार, नियोक्ता और ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हैं और इसकी अगली बैठक पेंशन मुद्दे पर विचार करने के लिए होगी।
वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद ब्याज की रकम को सीधे सब्सक्राइबर्स के खाते में क्रेडिट कर दिया जाएगा।
ईपीएफओ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील बर्थवाल ने आईएएनएस को बताया, वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 54,000 करोड़ रुपये से अधिक का 20 करोड़ सब्सक्राइबर्स में वितरण किया गया।