सिंगापुर : सिंगापुर संसद ने दो दिनों तक चली बहस के बाद फेक न्यूज से निपटने के लिए फेक न्यूज विधेयक पारित कर दिया। संसद को इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता स्वतंत्रता मानने वाले विपक्षियों और कार्यकर्ताओं की आलोचना का शिकार होना पड़ा है। मीडिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
द स्ट्रेट टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू मामले और कानून मंत्री के. शन्मुगम ने बुधवार रात इसके पारित होने के बाद कहा कि ऑनलाइन फर्जीवाड़ा और हेरफेर सुरक्षा विधेयक नाम का विधेयक सत्तारूढ़ दल के लिए सत्ता में आने के लिए राजनीतिक उपकरण नहीं है, बल्कि यह समाज को उस आकार में बदलने के लिए है जो सिंगापुर में होना चाहिए।
शन्मुगम ने सामाजिक हितों को नुकसान पहुंचाने वाली फर्जी खबरों (फेक न्यूज) से समाज को बचाने के उद्देश्य से पेश किए गए मसौदे पर बहस के दौरान बोलने वाले 31 सांसदों को जवाब देते हुए कहा, बहस सत्य की नींव, सम्मान की नींव और जहां हम अपने झूठ रखते हैं, उसकी नींव पर होनी चाहिए, जिसके लिए यह पेश किया गया है।
उन्होंने कहा, यह वर्कर्स पार्टी या पीएपी (पीपुल्स एक्शन पार्टी) या आज के बारे में नहीं है, यह सिंगापुर के बारे में है।
बुधवार रात लगभग 10.20 बजे 72 सांसदों की सहमति, नौ सांसदों की असहमति से यह विधेयक पारित हुआ। तीन नामांकित सांसदों ने खुद को इससे दूर रखा।
विधेयक के पारित होने से सरकार दो मानदंडों के आधार पर यह तय कर सकेगी कि कौन सी खबर को फर्जी खबर की सूची में डालना है। ये दोनों मानदंड- जब एक फर्जी बयान या घोषणा जारी होती है और जब यह कार्रवाई जनहित से संबंधित मानी जाती है।
प्रशासन के अनुसार, यह कानून किसी की राय, आलोचना, व्यंग या पैरोडी पर लागू नहीं होता है। इसके अंतरगत अधिकतम 10 साल की जेल और 7,33,000 डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।