नई दिल्ली : बार कौंसिल ऑफ दिल्ली ने शुक्रवार को अपने अंतरिम आदेश में चार बड़ी लेखा(अकाउंटिंग) कंपनियों -ई एंड वाइ, डीलाइट इंडिया, प्राइस वाटर हाऊस कूपर्स और केपीएमजी को अगले आदेश तक किसी भी तरह के कानून की प्रैक्टिस से दूर रहने के आदेश दिए हैं।
बार कौंसिल ने इन कंपनियों से इनके सभी कार्यालयों में नामांकित सभी अधिवक्ताओं की सूची भी सौंपने के आदेश दिए हैं।
बार कौंसिल ने यह कार्रवाई वरिष्ठ वकील ललित भसीन की शिकायत पर की है। उन्होंने आरोप लगाया था कि ये सभी कंपनियां वास्तव में लेखा कंपनियां हैं, लेकिन ये सब कानून की प्रैक्टिस कर रहे हैं, जिसकी कानूनी रूप से अनुमति नहीं है।
सोसायटी ऑफ इंडिया लॉ फर्म्स के अध्यक्ष भसीन ने कहा कि ये लेखा कंपनियां अवैध रूप से कानून की प्रैक्टिस कर रहे हैं।
मीडिया रपट के मुताबिक, नवंबर 2018 में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने ऑडिट कंपनियों को कानूनी सेवा मुहैया कराने की इजाजत देने के लिए एडवोकेट अधिनियम में संशोधन करने की सलाह देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। बार कौंसिल ऑफ दिल्ली मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को करेगा।