प्रदीप शर्मा
अयोध्या मुद्दे पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करती है. हम सभी संबंधित पक्षों व सभी समुदायों से निवेदन करते हैं कि भारत के संविधान में स्थापित ‘सर्वधर्म सम्भाव’ और भाईचारे के उच्च मूल्यों को निभाते हुए अमन-चैन का वातावरण बनाए रखें. हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि हम सब देश की सदियों पुरानी परस्पर सम्मान और एकता की संस्कृति व परंपरा को जीवंत रखें. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के नेताओं को पहले ही हिदायद दे दी गई थी कि अनुच्छेद 370 की तरह सभी अलग-अलग बयान न दें. अयोध्या के फैसले को देखते हुए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक भी बुलाई गई थी।
अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पांच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया. कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह जमीन देने के लिए कहा है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन मिलेगी. फिलहाल अधिकृत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा. पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है. फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था. CJI ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्म स्थल मानते हैं. हालांकि, ASI यह नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी. मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि वहां दोनों ही पक्ष पूजा करते थे. रंजन गोगोई ने कहा कि ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी. साथ ही सबूत पेश किए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे. साथ ही CJI ने कहा कि सूट -5 इतिहास के आधार पर है जिसमें यात्रा का विवरण है. सूट 5 में सीतार रसोई और सिंह द्वार का जिक्र है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है. CJI ने कहा कि 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिंदुओ पर कोई रोक नहीं थी. मुसलमानों का बाहरी आहते पर अधिकार नहीं रहा।