प्रदीप शर्मा
14 अप्रैल को प्रधानमंत्री श्री नरेंदर मोदी जी का सुबह 10 बजे धारावाहिक रामायण के बाद देश के नाम सम्भोधन सुनकर समस्त देश वासी का ह्रदय अभिभूत हो गया। कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने सम्भोधन में उठाया जो काफ़ी अहम है, मोदी जी ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ाई हम त्याग और तपस्या से काफ़ी हद तक जीत पाये है अभी तक कहाँ जीत पाए, जीत कर हम कहाँ तक आए है अभी, क्या सभी देशवासी के कोरोना जांच नेगेटिव आ गई ? अभी तक देश के प्रमुख मेट्रो शहरों में ही पूरी तरह से जांच, जांच किट की कमी के कारण जांच नहीं हो पा रही है तो आप अंदाजा लगा सकते है की हमारे ग्रामीण इलाको में क्या स्थिति होगी।
प्रधानमंत्री जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि मै जानता हू कि कितनी कठनाईयो का सामना हमारी देश की जनता कर रही है, काश ! ये अंतर पता होता कि आर्थिक असमानता वाले देश में जीवन वो नहीं है जो देश के गिनेचुने रहीस घराने जीते है, काश ये भी पता होता कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून किनके के लिए बनाया गया था कितने ही लोग है जो पंजीकृत नहीं है वो आज भूखमरी की हालात पर है।
प्रधानमंत्री जी ने अपने सम्भोधन में भारतीय संविधान की प्रस्तावना की पहली लाइन का जिक्र किया ” We the people of India ” सुन कर बहुत अच्छा लगा सही मायने में भारत की सोच यही है, We हम, इन्ही दो शब्द में सारे धर्म वर्ग सम्मिलित है। मोदी जी ने अपने सम्भोधन में इस दौरान आये और आने वाले कई त्योहारों का जिक्र किया लेकिन एक महत्वपूर्ण त्यौहार और भी है जो आने वाला है वो शायद भूल गए।
सम्भोधन में मोदी जी ने यह भी कहा कि जब कोरोना का एक भी केस नहीं था तब से हमने एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी और समय से पहले ही lockdown जैसा बड़ा कदम भारत ने उठा लिया क्योकि हम अलर्ट थे। अगर हम भारत सरकार की कोरोना वायरस के मुद्दे पर अलर्टनेस की बात करे तो जब WHO ने 11 मार्च को ही कोरोना को ग्लोबल पेंडेमिक घोषित कर दिया था तो क्यों 19 मार्च तक PPE किट्स का निर्यात होता रहा। विपक्ष के कहने के बावजूद भी 16 मार्च के बाद संसद का सत्र क्यों चलता रहा। लेकिन तब प्राथमिकता थी मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की। 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान को मुख़्यमंत्री की शपथ दिलाई तो तब 24 मार्च को lockdown पुरे देश में हुआ। क्या इसी को कहते है दूरदर्शिता और अलर्टनेस।
इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वायरस से लढ़ने का पहला हथियार lockdown है, लेकिन क्या यह अच्छा नहीं होता कि lockdown करने से पहले प्रधानमंत्री देश के सभी मुख़्यमंत्रियो से बात कर उनसे राय मशवरा लेकर ये फैसला करते। Sample survey of India और Annual survey of industries के मुताबिक 1 करोड़ 56 लाख पंजीकृत मजदूर है जो की देश के कोने कोने के हिस्से में मौजूद है। जहाँ उनके खाने पीने की इस्थिति की ख़बर कुछ अभी तक जीवित न्यूज़ पेपर से मिलती रहती है चाहै सूरत से हो या मुंबई दिल्ली से हो। नूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने lockdown से पहले 48 घंटे का समय दिया था और मोदी जी ने सिर्फ़ 3 घंटे 30 मिनट का समय। इसी अदूरदर्शिता के कारण आज लाखों मजदूर जिसमें औरतें बुजुर्ग बच्चे शामिल है देश के कोने – कोने में फंसे हुए है भूखे और प्यासे। क्या अब से इसी को दूरदर्शिता कहा जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने देशवासियो से अनुशासन की भी अपील की। आज के हालत में देखा जाये तो सबसे ज्यादा अनुशासित रहने की जरूरत है तो वो है मैन स्ट्रीम मीडिया और इसके कुछ एंकर, जोकि लगातार अनुशासन तोड़ रहे है देश के माहौल को ख़राब कर रहे है और ज़हर फैलाने का काम बेरोकटोक कर रहे है और तो और अब तो कोरोना को भी इन तथाकथित मीडिया ने हिन्दू मुस्लिम बना दिया। इसका नतीजा ये है की अगर किसी ने अपने घर के बहार दीया नहीं जलाया तो उसे डंडे लाठी से मारा गया ये भी तो हो सकता है उसके पास तेल न हो दीया न हो और रोटी भी न हो। भारत की130 करोड़ जनता आज अपने लोकप्रिय प्रधानमंत्री से अपील करती है कि आप मैन स्ट्रीम मीडिया को ये आदेश दे कि कम से कम इस महामारी के दौर में तो हिन्दू मुस्लिम एंगल पर काम न करे क्योकि चुनाव तो अभी दूर है।
Social distancing की बजाय एक खास वर्ग का Social boycott किया जा रहा है, जाहिल लोगो की भरमार आज हर वर्ग समुदाय में है चाहे तभलीग़ी ज़मात के लोग हो या महाचक्र पाणी महाराज जैसे लोग जिन्होंने गौमूत्र पार्टी का आयोजन किया था। कुछ चंद ज़ाहिल मूर्खो की वजह से क्या पुरे वर्ग समुदाय को बदनाम किया जाना सही है।
प्रधानमंत्री जी lockdown और Social distancing का पालन अनुपालन higher middle class, middle class और high class बहुत अच्छे से कर रहे है क्योकि उनके पास प्राप्त भोजन है, अकाउंट में प्राप्त धन है और घरों में भी प्राप्त कैश है। lockdown और Social distancing की टूटने की सम्भावना वही है जिनके पेट खाली है अकाउंट खाली है अगर वे कोरोना से नहीं मरे तो वो भूख से मर जायेंगे।