नई दिल्ली : कच्चे तेल के दाम में वृद्धि और रुपये में गिरावट से आगे देश का वित्तीय गणित बिगड़ सकता है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019 में आयात बिल 20 फीसदी बढ़कर 130 अरब डॉलर हो सकता है, जोकि सरकारी एजेंसियों के पूर्वानुमान का दोगुना होगा।
हालिया आकलन में पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसि सेल (पीपीएसी) का अनुमान है कि आयात बिल 2017-18 के 88 अरब डॉलर से 27 फीसदी बढ़कर 2018-19 में 112 अरब डॉलर हो जाएगा। लेकिन यह अनुमान भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 57.77 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर का विनिमय दर 70.73 रुपये प्रति डॉलर पर आधारित है। अब भारतीय बास्केट में कच्चे तेल का दाम 65 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर का विनिमय दर 71 रुपये प्रति डॉलर हो गया है।
मंत्रालय के एक पूर्व सचिव ने कहा, कच्चे तेल के दाम में फिर मजबूती आई है और ब्रेंट क्रूड का दाम पिछले सप्ताह के मुकाबले सात फीसदी बढ़कर 66 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। वहीं, रुपये में गिरावट आई है। इसका साफ संकेत है कि वित्त वर्ष 2019 के आखिर में तेल की कीमतें अधिक रहने से तेल आयात का बिल ज्यादा हो जाएगा जो सरकार के अनुमान से काफी अधिक होगा।
अगर तेल आयात का बिल 130 अरब डॉलर के स्तर के आसपास रहने पर यह वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2014 के स्तर के करीब होगा जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम तकरीबन पूरे साल 100 डॉलर प्रति बैरल रहा था।
इस प्रकार तेल का बिल वित्त वर्ष 2019 में मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा होगा और यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल के उच्च आयात बिल के करीब होगा जब कच्चे तेल की कीमत करीब 140 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर चली गई थी।