लोकराज डेस्क
नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा बयान दिया है। नीतीश कुमार ने दो टूक कहा कि सीएए पर बहस होनी चाहिए और अगर सभी पक्ष सहमत होते हैं तो फिर इस पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। हालांकि इस दौरान नीतीश कुमार ने साफ किया कि बिहार में एनआरसी लागू होने का कोई सवाल ही नहीं है। नीतीश ने कहा कि एनआरसी का मुद्दा सिर्फ असम के परिप्रेक्ष्य में है और इसे पीएम नरेंद्र मोदी भी स्पष्ट कर चुके हैं।
नागरिकता कानून के खिलाफ जेडीयू में ही दो फाड़ की स्थिति तब बन गई जब पार्टी लाइन से इतर उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बयान दिया। प्रशांत किशोर ने रविवार को भी सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तारीफ की। इसके बाद से कई तरह की सियासी अटकलें भी लगाई जा रही हैं।
दरअसल, प्रशांत किशोर की तरफ से लगातार सीएए के विरोध के बीच लंबे समय तक नीतीश कुमार एनआरसी और सीएए के मुद्दे पर खामोश रहे। बिहार की सियासत में अब कहा जाने लगा है कि पीके नीतीश की मजबूरी हैं क्योंकि उन्हीं के जरिए नीतीश कई रणनीति पर काम कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोची-समझी रणनीति के तहत इस मुद्दे पर अधिकतर खामोश रहे हैं।
प्रशांत किशोर नीतीश को भी जेडीयू की धर्मनिरपेक्ष छवि की याद दिलाते रहे हैं। पीके के अलावा पवन वर्मा और गुलाम रसूल बलयावी ने भी सीएए का समर्थन करने को लेकर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयान दे चुके हैं। इसके बावजूद पार्टी नेतृत्व ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की।