अहमदाबाद, 2 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गुजरात पुलिस अधिकारियों- डी.जी.वंजारा व एन.के. अमीन को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने यह फैसला तब लिया, जब गुजरात सरकार ने इन सभी पर मुकदमा चलाए जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
अधिकारियों के दोषमुक्त किए जाने की याचिका को मंजूर करते हुए अदालत ने कहा कि वह अधिकारियों पर आरोप तय करने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि सरकार ने उनपर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी है। दोनों अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
अधिकारियों ने 26 मार्च को एक याचिका दाखिल कर कहा था कि उनके खिलाफ सभी कार्यवाही को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि गुजरात सरकार ने यह कहते हुए उन पर मुकदमा चलाने से इनकार कर दिया है कि वे अपनी ड्यूटी कर रहे थे।
आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के अनुसार, एक सरकारी अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है।
इसके अलावा पुलिस अधिकारियों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मारे गए व्यक्ति का अपहरण नहीं किया गया था और यह एक वास्तविक मुठभेड़ और उनकी आधिकारिक ड्यूटी का हिस्सा था।
इससे पहले अगस्त 2018 में, सीबीआई ने कहा था कि उसके पास इस बात के सबूत है कि वंजारा पूरे अभियान का मास्टरमाइंड था और अमीन मौके पर मौजूदा था, जिसके आधार पर अदालत ने वंजारा और अमीन की याचिका को खारिज कर दिया था।
इस बीच, सीबीआई के वकील आर.सी. कोडेकर ने कहा कि आदेश की एक प्रति को सीबीआई मुख्यालय भेजा जाएगा, ताकि यह निर्णय किया जा सके कि अदालत के आदेश के खिलाफ ऊंची अदालतों का रुख किया जाए या नहीं।
इशरत जहां की मां शमीमा कौसर की वकील वृंदा ग्रोवर ने याचिका का विरोध किया और कहा कि राज्य सरकार के पास अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देने का कोई अधिकार नहीं है।