नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले में क्लीनचिट दिए जाने के निर्वाचन आयोग के आदेश से संबंधित सबूत ऑन रिकॉर्ड अदालत में पेश करें।प्रधान न्यायाधीश रंजन गगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की अगली सुनावाई के लिए आठ मई की तारीख तय कर दी।असम की सिलचर लोकसभा सीट से सुष्मिता देव कांग्रेस की सांसद हैं।
देव की तरफ से वरिष्ठ वकील ए. एम. सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कई बार आयोग में इस बात को लेकर शिकायत की है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष जानबूझ कर प्रचार अभियान के दौरान सुरक्षाबलों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो आचार संहिता का उल्लंघन है, लेकिन चुनाव आयोग शिकायतों को खारिज कर रहा है।
सिंघवी ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग के कई आदेशों में उनके ही कुछ अधिकारियों की असहमति की टिप्पणियां हैं।
सिंघवी ने कहा, अदालत को दिशानिर्देश तय करना चाहिए, क्योंकि यह मूल संरचना से संबंधित है और सभी मामलों में अधिकारी के असहमतियों का खुलासा किया जाना चाहिए.. शीर्ष अदालत को कुछ आदेशों पर गौर करना चाहिए।
पीठ ने इस पर देव के वकील को अदालत में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें इस बात की जानकारी हो कि चुनाव आयोग ने मोदी, शाह को आचार संहिता के मामले में क्लीनचिट दी है।
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और शाह के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन मामले में की गई सभी शिकायतों पर छह मई से पहले निर्णय करे।
चुनाव आयोग पहले ही प्रधानमंत्री मोदी को उनके दो भाषणों पर क्लीनचिट दे चुका है। इनमें से एक लातूर (महाराष्ट्र) में मोदी ने अपने भाषण में पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से कहा था कि क्या उनका पहला वोट बालाकोट हवाई हमले के नायकों और पुलवामा के शहीदों को समर्पित हो सकता है। दूसरे भाषण में उन्होंने केरल के वायनाड में कहा था कि यहां बहुसंख्यक समुदाय के लोग अल्पसंख्यक हैं और क्षेत्र में अधिकतम मतदाता अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।