नई दिल्ली :मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को अगले पांच के दौरान आठ फीसदी आर्थिक विकास दर की दरकार है।
उन्होंने कहा कि इसी के मद्देजनर आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में प्रमुख संचालक के रूप में निवेश पर जोर दिया गया है।
इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेश एकमात्र औजार है इसलिए मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) ने सरकार और निजी क्षेत्र को दो विकल्प प्रदान किया है।
उन्होंने कहा, हमारा ध्यान ऐसा मॉडल पेश करने की कोशिश पर केंद्रित है जिससे लगातार आठ फीसदी आर्थिक विकास दर हासिल हो। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के लिए यह अवसर है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूंजी लागत धीरे-धीरे घट रही है और तरलता में काफी ज्यादा है।
संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने के बाद सुब्रमण्यम मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, इसलिए निजी कंपनियों और सरकार के लिए विदेशों से धन जुटाने का अवसर है। हम विदेशी निवेश को भी आने की अनुमति दे सकते हैं।
उन्होंने कहा, आठ फीसदी आर्थिक विकास दर हासिल करने के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के फीसदी के रूप में निवेश 30 फीसदी से अधिक होना चाहिए। चीन में यह 50 फीसदी से ऊपर चला गया है। हमें 35 फीसदी के आसपास निवेश करने की जरूरत है। उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि मौजूदा दर 29.6 फीसदी है।
प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल भी इस मौके पर मौजूद थे जिन्होंने निवेश को अहम बताया।
उन्होंने कहा, सवाल है कि हम निवेश का सृजन कैसे करें। एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) महत्व रखता है, बचत आर्थिक विकास का मुख्य संचालक है।
सीईए ने कहा, हम अच्छी दर (आर्थिक विकास दर) के साथ विकास कर रहे हैं लेकिन हमें लगातार आठ फीसदी विकास दर हासिल करने के लिए गियर बदलना होगा। यही रणनीतिक विकास दर है। हम अर्थव्यवस्था को बेहतर मार्ग पर लाकर आर्थिक विकास दर हासिल करना चाहते हैं जिसमें निवेश उस चक्र का प्रमुख संचालक होगा।
उन्होंने कहा, दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत का उज्ज्वल स्थान रहा है जहां दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले इसकी आर्थिक विकास दर अधिक रही है। पिछले पांच साल के दौरान विकास का फायदा मिला है और समष्टिगत आर्थिक स्थिरता हासिल हुई है। देश में न सिर्फ ऊंची विकास दर रही है बल्कि राजकोषीय घाटा भी एफआरबीएम (राजकोषीय जिम्मेदारी व बजट प्रबंधन) अधिनियम के उठाव मार्ग के अधीन रहा है।
इससे पहले उन्होंने कहा कि 2019-20 में आर्थिक विकास दर सात फीसदी रहने की उम्मीद है।
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