एजेंसीज / प्रदीप शर्मा
यूक्रेन के बॉर्डर शहर खार्किव में रूसी जेट्स और टैंकों की गोलाबारी के बीच करीब 15 हजार भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, उनकी बेचैनी बढ़ती जा रही है। स्टूडेंटस ने बेसमेंट, बंकर और यहां तक कि अंडरपास में पनाह ले रखी है। अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर भूखे प्यासे इन छात्रों ने अपने जीवन में कभी ऐसे बुरे हालात की कल्पना भी नहीं की थी। वहीं भारतीय एंबेसी की कोशिश है कि इन छात्रों को किसी तरह निकाल कर पड़ोसी देश हंगरी भेजा जाए, जहां से इन्हें भारत लाया जा सके।
हम खार्किव की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। ये शहर रूस की सीमा से करीब 35 किलोमीटर दूर है। चारों तरफ धमाके हो रहे हैं। भारी सैन्य वाहन सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। अधिकतर लोग शहर छोड़कर जा रहे हैं, लेकिन हम भारतीय छात्र कहीं जा नहीं सकते इसलिए हम एक बेसमेंट में छिपे हुए हैं। शहर के अधिकतर लोग भी बेसमेंट में ही हैं। खार्किव नेशनल यूनिवर्सिटी में 15 हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं। ये सभी बेसमेंट में हैं। कुछ ने सुरक्षित शहरों की तरफ जाने की कोशिश भी की है।
हमें हालात खराब होने की भनक थी इसलिए हम सबने चार-पांच दिन का खाने का सामान खरीद लिया था। यहां अंधेरा है। बिजली कटी हुई है। रह-रह कर धमाकों की आवाजों से हम सब सहम जा रहे हैं। बीती रात तीन बजे एक बड़ा धमाका हुआ था। उसके बाद से धमाकों का सिलसिला जारी है। हमें कुछ नहीं पता कि आगे क्या होगा। हम वापस जाने के लिए टिकट भी नहीं खरीद पा रहे हैं। यहां के एयरपोर्ट पर रूस का कब्जा हो चुका है तो उड़ानें बंद हैं। भारत से यहां जो उड़ान छात्रों को लेने आ रही थी, वो वापस जा चुकी है।
हम भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पा रहा है। कुछ छात्र अपनी कोशिशों से लौटे भी हैं, लेकिन अधिकतर यहीं हैं। पिछले कुछ दिनों में यहां हालात तेजी से खराब हुए हैं और हर बीतते घंटे के साथ और खराब होते जा रहे हैं। हम सभी छात्र एकजुट तो हैं, लेकिन बहुत ज्यादा डरे हुए हैं।
हॉस्टल में रहने वाले सभी भारतीय छात्र अब बेसमेंट में हैं। यहां करीब दो हजार भारतीय छात्र हैं, जो हॉस्टल खाली कर चुके हैं। यहां एक अंडरपास है, उसके नीचे भी बच्चे छुपे हुए हैं। इस अंडरपास के नीचे हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। शहर के रहने वाले अधिकतर लोग यहां से जा चुके हैं। हमें बहुत कुछ पता भी नहीं चल पा रहा है कि बाहर क्या हो रहा है। बहुत से लोग पोलैंड चले गए हैं।
अभी हमारे पास कुछ दिनों का खाने-पीने का सामान है, लेकिन हम कुछ पका नहीं सके हैं। चिप्स वगैरह खाकर रह रहे हैं। अधिकतर छात्र बहुत भूखे हैं। यूक्रेन की सरकार की तरफ से हमें अभी कोई मदद नहीं मिली है। एंबेसी की तरफ एक संदेश मिला है, जिसमें बताया गया है कि भारतीय सरकार हंगरी के रास्ते भारतीय छात्रों को निकालने के प्रयास कर रही है, लेकिन हम नहीं जानते की हम कब यहां से निकल पाएंगे।
हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वो हमारे हालात को समझे और हमें जल्द से जल्द यहां से बाहर निकालने के प्रयास करे। सभी छात्र अपने घर पर बात कर रहे हैं और सरकार की तरफ से जानकारी का इंतजार कर रहे हैं। हमारे घरवाले भी बहुत परेशान हैं। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से हमसे कहा गया है कि शांत रहें और अपना ख्याल रखें। ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि पैनिक नहीं है, लेकिन सच ये है कि यहां हमारे हालात बहुत खराब हैं।