न्यूयॉर्क : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जहां बजट तैयार करने में जुटी हैं, वहीं विश्व बैंक की रपटों में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 में 7.2 फीसदी रही, जो केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के 6.8 फीसदी के आंकड़े से काफी अधिक है।
बैंक की आर्थिक संभावना रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले दो वित्त वर्षों में 7.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी, जो कि सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपना शीर्ष स्थान बनाए हुए है। इसे मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती और कम मुद्रास्फीति द्वारा मदद मिलेगी।
इस रपट में भारत के लिए जनवरी में लगाए गए अनुमान को बरकरार रखा गया है। विश्व अर्थव्यवस्था के अनुमान में भारत के विकास दर के सबसे तेज रहने का अनुमान लगाया गया है। रपट में बताया गया है कि पिछले साल वैश्विक विकास दर तीन फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था, जबकि इस साल इसमें तेज गिरावट आई और यह 2.6 फीसदी रही। अगले साल इसमें 2.7 फीसदी और और 2021 में 2.8 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है।
बैंक ने कहा कि इन आंकड़ों का कट ऑफ तिथि 23 मई है। सीएओ ने 31 मई को कहा था कि देश का सकल घरेलू उत्पाद वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 6.8 फीसदी रहा, जोकि पिछले साल के 7.2 फीसदी की तुलना में कम है।
सीएसओ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार चौथी तिमाही में महज 5.8 फीसदी रहेगी, जिसके कारण समूची अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी।