सोनीपत : ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कारगिल युद्ध स्मारक की विजय मशाल का गर्मजोशी से स्वागत किया। भारतीय सेना की मशाल रिले बैटन टीम के साथ जेजीयू के धावक इस मशाल को विश्वविद्यालय में लेकर आए। जेजीयू को विजय मशाल के पहले पड़ाव के तौर पर चुना गया।
जिंदल ग्रुप के हर पहलू की गहराई में राष्ट्र निर्माण की भावना निहित है। जेजीयू के कुलाधिपति नवीन जिंदल, राष्ट्रीय गौरव और समाज को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता में ही भरोसा करते हैं। हमारे सैनिकों की बहादुरी, बलिदान और प्रतिबद्धता उनके लिए प्रेरणास्रोत रही हैं। देश के प्रति प्रेम और शहीदों के बलिदान ने देश के नागरिकों को केवल खास दिन पर ही नहीं, बल्कि हर दिन तिरंगा फहराने का अधिकार दिया है। इसी बात ने उन्हें भी एक दशक तक संघर्ष करने की प्रेरणा दी।
अधिक से अधिक भारतीयों द्वारा गर्व के साथ तिरंगा फहराने को प्रेरित करने के लिए, उन्होंने फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसने देश की राजधानी दिल्ली के केंद्र में 207 फीट ऊंचे स्मारकीय तिरंगे के स्तंभ सहित देशभर में 72 ऐसे तिरंगा स्तंभ स्थापित किए हैं।
आयोजन के मुख्य अतिथि व जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) के प्रधान निदेशक और जेजीयू के कुलाधिपति के सलाहकार प्रो. डॉ. संजीव पी. साहनी ने कहा, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में भारतीय सेना की विजय मशाल की मेजबानी करने पर हम बेहद खुश और धन्य हैं। हमारा विश्वविद्यालय राष्ट्रीय निर्माण में भागीदारी जैसे कार्यक्रमों के जरिए भारतीय सेना के साथ लंबे समय से जुड़ा हुआ है, जिसमें विशेष लाभ के साथ भारतीय सेना के साथ समन्वय किया गया। हमने अतीत में भारतीय सेना के अधिकारियों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। इसमें मैंडरिन भाषा और नेतृत्व रणनीतियों पर अद्वितीय कार्यक्रम शामिल थे। मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज सिर्फ एक कपड़े के टुकड़े से कहीं ज्यादा बढ़कर है। यह एक सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त प्रतीक है जो शक्ति, स्वतंत्रता और विकास के लिए मजबूती से खड़ा है। यह हमारे देश का इतिहास हैं और यह उनकी निशानी है, जिनके बलिदानों ने इसे बचाया है। हमारे तिरंगे को सलाम।
परिसर में प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ लीडरशिप डेवलपमेंट एंड एक्जीक्यूटिव एजुकेशन के वरिष्ठ निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. राजेश कोचर (सेवानिवृत्त) ने कहा, कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा को पार कर हमारे हिस्से में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सेना के सैनिकों को बाहर खदेड़ने के लिए मई 1999 में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन विजय शुरू किया गया था। 26 जुलाई 1999 को घुसपैठियों को नियंत्रण रेखा के बाहर खदेड़ने के बाद लड़ाई बंद हो गई। उस दिन के बाद से हर साल इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस ऑपरेशन के दौरान शहीदों की वीरता और बलिदान को याद किया जाता है। ऑपरेशन विजय के सफलता पूर्वक पूरा होने की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर जेजीयू में इस समारोह की मेजबानी कर आज हमें बहुत गर्व महसूस हो रहा है, जिसमें भारतीय सेना के वीर जवानों ने कारगिल युद्ध जीतने के लिए खतरनाक परिस्थितियों, शत्रुतापूर्ण इलाकों, मौसम को झेलते हुए दुश्मनों पर काबू पाया। एक विश्वविद्यालय के रूप में हम दृढ़ता से राष्ट्र निर्माण के लिए संस्था में विश्वास करते हैं।
मेजर विक्रम बलराज सिंह ने अपने भाषण में 1999 में हुए कारगिल युद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। 60 दिनों तक चली इस लड़ाई के बाद हमारे बहादुर सैनिकों ने दोबारा कारगिल पर नियंत्रण कर लिया था। उन्होंने कहा कि शहीदों की वीरता और बलिदान से हम सबको प्रेरित होना चाहिए और बहुत लंबे संघर्ष के बाद हासिल हुई भारत की आजादी की रक्षा के लिए भी हमें प्रतिबद्ध होना चाहिए।
इस कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में जेजीयू के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) वाई. एस. आर. मूर्ति ने कहा, आज भारत कारगिल युद्ध के विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है, उन सैनिकों की वीरता का स्वागत करना और उन्हें श्रद्धांजलि देना जेजीयू के लिए सौभाग्य का क्षण हैं। उन्होंने आगे कहा, गर्व, सम्मान और प्रेरणा ये तीन ऐसे स्तंभ हैं, जिनके आधार पर हम आज के स्मरणोत्सव को एक राष्ट्र के रूप में यादगार बना रहे हैं। जेजीयू बिरादरी इनका गर्मजोशी से स्वागत करती है।
यह मशाल जम्मू-कश्मीर में द्रास स्थित वार मेमोरियल पहुंचने से पहले 11 नगरों और शहरों से होकर गुजरेगी। वहां पहुंचने के पश्चात भारतीय सेना और शहीदों के परिवार के सदस्य उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। इस यात्रा के दौरान रिले बैटन टीम शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों से भी मिलेगी। कार्यक्रम में सेना के जवानों, युद्ध के दिग्गजों और वीर नारियों को सम्मानित भी किया गया जिसके बाद स्कूली छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ का जश्न 14 जुलाई से शुरू हो चुका है। दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विजय मशाल प्रज्जवलित की गई और शहीदों के बलिदान का सम्मान करने और 1999 के कारगिल युद्ध में ऐतिहासिक जीत को याद करने के लिए जम्मू एवं कश्मीर के द्रास युद्ध स्मारक तक मशाल को ले जाया जाएगा। जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र की ऊंची चौकियों पर पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने घुसपैठ कर उस पर कब्जा जमा लिया था। कारगिल युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जिसे ऑपरेशन विजय नाम दिया गया था। भारतीय सेना ने 26 जुलाई, 1999 को भारतीय क्षेत्रों की कमान सफलतापूर्वक हासिल कर ली थी।