रांची : झारखंड में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बेदखल करने के लिए सभी विपक्षी दलों ने तैयारी शुरू कर दी है, सभी दलों की महत्वाकांक्षा ने महागठबंधन में सीटों के पेंच को उलझा दिया है।
झारखंड में विधानसभा की 81 सीटों में से 41 सीटों पर दावा ठोककर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अपने सहयोगी दलों को यह संदेश दे दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में वह बड़े भाई की भूमिका में होगा।
झामुमो के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि दो दिन पूर्व पार्टी के विधायकों की बैठक में विधायकों ने जो भावना स्पष्ट की है, उसके मुताबिक पार्टी को कम से कम इतनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जिससे वह अकेले राज्य में सरकार बना सके। यही कारण है कि पार्टी ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा पेश किया है।
वैसे, झामुमो का यह दावा उनके सहयोगी दलों को पसंद नहीं आया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने झामुमो के दावों को नकारते हुए उसे परित्याग करने की नसीहत तक दे दी।
राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, झामुमो को त्याग करना चाहिए, आखिर चुनाव हेमंत सोरेन जी के ही नेतृत्व में लड़ना है और मुख्यमंत्री भी उन्हीं को बनना है तो त्याग भी उन्हीं को करना होगा।
उन्होंने कहा कि राजद झारखंड मं 12 से 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव के पूर्व ही झारखंड महागठबंधन में विधानसभा चुनाव हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ने की सहमति बन गई थी।
इस बीच, महागठबंधन में प्रमुख घटक दल कांग्रेस ने भी इशारों ही इशारों में सभी 81 सीटों पर चुनाव की तैयारी करने की बात कर झामुमो के दावे को नकार दिया है।
कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस राज्य की 35 से 40 सीटों पर अपने जनाधार की बदौलत अच्छी स्थिति में है।
ठाकुर ने झामुमो पर कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस की सीट कोई दूसरे दल के लोग तय नहीं करते, बल्कि पार्टी के अध्यक्ष, प्रभारी या कोई वरिष्ठ नेता ही इसे तय करते हैं।
विधानसभा चुनाव की घोषणा के पूर्व ही झामुमो द्वारा 41 सीटों की दावेदारी और राजद व कांग्रेस की नसीहत के बाद इतना तय है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में महगठबंधन में सीट बंटवारा आसान नहीं होगा।
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) भी महागठबंधन में अब तक खुलकर सीट का दावा भले ही नहीं कर रहा हो, लेकिन सूत्रों का कहना है कि झाविमो भी चार से पांच सीट से कम पर समझौता करने को तैयार नहीं होगा।
बहरहाल, सीट बंटवारे को लेकर दलों में महत्वकांक्षा के बीच सीटों के बंटवारे का पेच फंस गया है और इस पेच को सुलझाना ही महागठबंधन के वरिष्ठ नेताओं के लिए एक चुनौती होगी।
–आईएएनएस