नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कार्ति चिदंबरम को फरवरी और मार्च में ब्रिटेन और स्पेन की यात्रा करने की इजाजत दे दी। अदालत ने साथ ही आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल मेक्सिस मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ सहयोग करने का कड़ा निर्देश भी दिया है।
अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे से कहा कि इस निर्देश का पालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा।
कार्ति को 10 से 26 फरवरी और फिर 23 से 31 मार्च को यात्रा की इजाजत मिली है।
अदालन ने उन्हें जहां भी चाहे वहां जाने, जो भी चाहे वह करने की इजाजत दी, लेकिन इसके साथ ही प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा, हमारे साथ नहीं खेले। असहयोग एक इंच भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आप सहयोग नहीं कर रहे हैं।
प्रधान न्यायाधीश गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कार्ति को आगे की जांच के लिए 5, 6, 7 और 12 मार्च को ईडी के समक्ष पेश होने के लिए कहा।
अदालत ने इसके अलावा कार्ति को सर्वोच्च न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल के पास 10 करोड़ रुपये की जमानत राशि जमा कराने को कहा।
कार्ति की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील के.वी. विश्वनाथन ने जैसे ही जमानत राशि के बारे में कुछ कहना चाहा, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, क्या आप चाहते हैं कि हम इसमें एक शून्य और जोड़ दें?
इससे पहले महान्यायवादी तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि ईडी ने पूछताछ के लिए उनकी ब्रिटेन और स्पेन यात्रा के बीच की तारीखें तय कर ली हैं।
अदालत ने इससे पहले सोमवार को हुई सुनवाई में ईडी से कार्ति से पूछताछ की तारीख के बारे में बताने के लिए कहा था।
अदालत ने कार्ति से कहा कि अगर उनकी तरफ से जांच में लेश मात्र भी असहयोग किया जाता है तो वह कड़ा रुख इख्तियार करेगी। इसके साथ ही पीठ ने कार्ति से तय की गई तारीखों पर पेश होने और सभी तरह से सहयोग करने के लिए कहा। अदालत ने कहा, जांच में किसी भी तरह के असहयोग को काफी गंभीरता से लिया जाएगा।