प्रदीप शर्मा
चारा घोटाले के तहत डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये के गबन के मामले में दोषी करार दिये गये राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पांच साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाने के साथ 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अब लालू प्रसाद यादव के वकील हाई कोर्ट जाएंगे। वहां बेल पिटीशन फाइल किया जाएगा। इसमें तर्क दिया जाएगा कि लालू प्रसाद यादव ने आधी सजा काट ली है। लालू प्रसाद यादव के वकील ने बताया कि हमने कोर्ट में खराब सेहत का हवाला दिया था। इस वक्त लालू यादव 73 साल के हैं। लालू यादव के अलावा इस मामले में 38 दोषियों को भी विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सजा सुनाई। केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत के न्यायाधीश एस के शशि ने 15 फरवरी को इन सभी को दोषी करार देते हुए सजा पर सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की थी।
सीबीआई के विशेष अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि विशेष अदालत ने शनिवार को निर्देश दिया कि 15 फरवरी को दोषी करार दिये गये 41 आरोपियों में से अदालत में पेश हुए 38 दोषियों को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सजा सुनायी गई। उन्होंने कहा कि तीन अन्य दोषी 15 फरवरी को अदालत में उपस्थित नहीं हो सके थे, जिसके चलते अदालत ने तीनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
सिंह ने बताया कि जिन 38 दोषियों को सजा सुनायी जानी है उनमें से 35 बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं जबकि लालू प्रसाद यादव समेत तीन अन्य दोषी स्वास्थ्य कारणों से राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती हैं। सीबीआई के विशेष अभियोजक ने बताया कि जेल प्रशासन सभी 38 दोषियों की वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेशी का प्रबन्ध किया गया था।
उन्होंने बताया कि रिम्स में लालू प्रसाद के अलावा डॉ. केएम प्रसाद तथा यशवंत सहाय भर्ती हैं। बिरसा मुंडा कारागार के अधीक्षक हामिद अख्तर ने बताया कि रिम्स में भर्ती तीनों दोषियों को अदालत में वीडियो कांफ्रेंस के जरिये पेश करने के लिए लैपटॉप की व्यवस्था की गई थी। सिंह ने बताया कि अदालत ने लालू प्रसाद यादव को भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468, 471 के साथ षड्यंत्र से जुड़ी धारा 120बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2)के तहत दोषी करार दिया है।
इस मामले में सीबीआई ने कुल 170 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था जबकि 148 आरोपियों के खिलाफ 26 सितंबर 2005 में आरोप तय किए गए थे। चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में चौदह वर्ष तक की सजा पा चुके लालू प्रसाद यादव समेत 99 लोगों के खिलाफ अदालत ने सभी पक्षकारों की बहस सुनने के बाद 29 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।