इंदौर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के इंदौर संसदीय सीट से सांसद और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर एक पत्र जारी कर चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। महाजन के चुनाव न लड़ने के ऐलान से सियासी हलकों में हलचल मच गई है। बड़ी संख्या में समर्थक महाजन के आवास पर जमा होने लगे हैं।
महाजन ने शुक्रवार को सार्वजनिक तौर पर जारी एक पत्र में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार किया है। पत्र में उन्होंने लोकसभा संसदीय सीट को लेकर पार्टी के भीतर चल रहे असमंजस पर सवाल उठाए हैं।
महाजन ने पत्र में लिखा है, “भाजपा ने आज तक इंदौर संसदीय सीट के लिए उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। यह अनिर्णय की स्थिति क्यों है? संभव है कि पार्टी को निर्णय लेने में कुछ संकोच हो रहा है। हालांकि इस संदर्भ में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मैंने काफी पहले चर्चा की थी और निर्णय उन्हीं पर छोड़ा था। लगता है उनके मन में अब भी कुछ असमंजस है। इसलिए मैं घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना है, अत: पार्टी अब अपना निर्णय मुक्त मन से करें, नि:संकोच होकर करे।”
सुमित्रा का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
महाजन ने पत्र में इंदौर की जनता के प्रति आभार जताते हुए लिखा है, “इंदौर के लोगों ने आज तक जो मुझे प्रेम दिया, भाजपा एवं सभी कार्यकर्ताओं ने जिस लगन से सहयोग दिया और जिन-जिन लोगों ने आज तक सहयोग किया, उन सभी की हृदय से आभारी हूं।”
उन्होंने आगे लिखा है, “अपेक्षा करती हूं कि पार्टी जल्दी ही अपना निर्णय करे, ताकि आने वाले दिनों में सभी को काम करने में सुविधा हो तथा असमंजस की स्थिति समाप्त हो।”
महाजन के इस पत्र के बाद सियासी हलकों में हलचल मच गई है और कार्यकर्ता उनके आवास पर जमा होने लगे हैं।
भाजपा द्वारा निर्धारित नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक उन नेताओं को उम्मीदवार नहीं बनाया जा रहा है, जिनकी आयु 75 वर्ष से ज्यादा हो गई है। इसी के चलते पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित अनेक नेताओं को उम्मीदवार नहीं बनाया गया है। उसी क्रम में इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन का नाम भी आ गया है। महाजन 76 वर्ष के करीब हैं।
इंदौर संसदीय क्षेत्र वर्तमान में भाजपा का गढ़ बन चुका है। वर्ष 1989 के बाद सुमित्रा यहां से लगातार आठ बार निर्वाचित हुई हैं। वहीं वर्ष 1952 से 1989 तक चार बार कांग्रेस, एक बार लोकदल और एक बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के होमी दाजी जीते थे।