प्रदीप शर्मा
नासिक : महाराष्ट्र में मध्य रात्रि को मंत्रियों के संबोधन से शुरू हुई किसानों की शांतिपूर्ण रैली नासिक से मुंबई तक जाने वाली थी, लेकिन नाटकीय घटनाक्रम में शुक्रवार सुबह इसे स्थगित कर दिया गया।
ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले ने आईएएनएस से कहा, हां. सरकार ने हमारी सभी 15 मांगें मान ली हैं और निश्चित समय में उन्हें लागू करने का वादा किया है। इसके साथ-साथ हर दो महीनों में समीक्षा बैठक करने का भी वादा किया गया है।
इन 15 मांगों में सूखा राहत, जल एवं सिंचाई, वन अधिकार अधिनियम लागू करने, पुराने किसानों या कृषि मजदूरों की पेंशन वृद्धि, कृषि ऋण माफी, जन वितरण तंत्र में समस्याएं, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा के अंतर्गत काम देना, पेयजल की जटिल समस्याएं और फसल बीमा योजना वृद्धि हैं।
धावले ने कहा कि 2018 में लगभग 35,000 किसानों द्वारा मुंबई तक पैदल यात्रा करने के बाद, सरकार इन मांगों पर राजी हो गई थी लेकिन बार-बार याद दिलाने और यहां तक कि इस मामले के सदन में उठाने के बाद भी एक भी बिंदु लागू नहीं किया गया था और ना कोई समीक्षा बैठक हुई।
इसके अनुसार, एआईकेएस ने दूसरी और ज्यादा लंबी पैदल मार्च का ऐलान कर दिया जिसने सरकार को परेशान कर दिया।
धावले ने कहा, मुख्यमंत्री ने हमें 11 और 17 फरवरी को दो बैठकों में बुलाया था लेकिन उसमें कोई सफलता नहीं मिलने के बाद हमने पैदल मार्च निकालने का फैसला किया। यह तब है जब सरकार ने हमें आंदोलन बंद करने के लिए मजबूर करने के लिए दमनकारी नीति का सहारा लिया।
पैदल मार्च बुधवार को शुरू हुआ था लेकिन शाम को जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने एआईकेएस नेताओं को आधी रात में बैठक के लिए बुलाया जो रात 1.30 तक चली, लेकिन यह सिर्फ आंशिक रूप से सफल रही।
उन्होंने शीर्ष नेताओं से चर्चा करने का वादा किया और इसके बावजूद किसानों ने गुरुवार को अपना मार्च जारी कर दिया। करीब 40 हजार किसानों की रैली मुंबई की ओर कूच कर गई। गुरुवार दोपहर 4 बजे मंत्री की किसानों के साथ फिर बैठक हुई और इसके चार घंटे बाद सरकार की ओर से मसौदा पेश किया गया। जिसे किसान नेताओं ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद नासिक से 25 किलोमीटर आगे बढ़ चुकी रैली को रात 1.30 बजे स्थगित कर दिया।