नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि व्यापक कर्जमाफी से देश की क्रेडिट संस्कृति और कर्जदारों का क्रेडिट व्यवहार प्रभावित होता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कर्जमाफी के फैसले में संबद्ध प्रदेश सरकार की वित्तीय हालत को ध्यान में रखना चाहिए।
यहां संवाददाताओं से बातचीत में दास ने कहा कि हालांकि प्रदेश की सरकारों के प्रदेश के वित्तीय मामलों में फैसला लेने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन उनको इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या उनके पास जरूरतों की पूर्ति के लिए वित्तीय संसाधन हैं, जिसे तत्काल जारी कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, किसी व्यापक कर्जमाफी से स्पष्ट तौर पर क्रेडिट संस्कृति और कर्जदार के भविष्य के क्रेडिट व्यवहार पर बुरा असर पड़ता है।
उन्होंने कहा, मुझे अवश्य इस बात का जिक्र करना चाहिए कि प्रत्येक राज्य सरकार को किसी प्रकार का कृषि कर्ज माफ करने का फैसला लेने से पहले सावधानीपूर्वक अपने वित्तीय संसाधन की जांच करनी चाहिए।
यह बयान काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि किसानों की कर्जमाफी के वादे और मांग इन दिनों चर्चा में हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बनी नई सरकारों ने किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा की है।
किसान संगठनों और विपक्षी दलों की ओर से काफी समय से देशभर में किसानों के कर्ज माफ करने की मांग की जा रही है। पिछले कुछ सालों से कई प्रदेशों की सरकारों ने ऐसे फैसले किए हैं।
अनेक विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने कर्जमाफी का राजकोष पर पड़ने वाले प्रभाव के मद्देनजर अपना संदेह जाहिर किया।
देश की तरलता की स्थिति पर चर्चा करते हुए दास ने कहा कि आरबीआई ने हालात में सुधार लाने के लिए काफी कदम उठाए हैं और अगर जरूरत होगी तो केंद्रीय बैंक तरलता बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा, तरलता की समस्या से निपटने को लेकर मैं बताना चाहूंगा कि आरबीआई लगातार इसकी निगरानी कर रहा है और आवश्यकता पड़ने पर कदम उठाएगा।