नई दिल्ली : कॉर्पोरेट मंत्रालय अब आईएलएंडएफएस मामले की जांच में अनियमितताओं का परत दर परत खुलासा कर रहा है। इसकी पड़ताल से छिपे हुए तथ्य सामने आ रहे हैं कि किस प्रकार रवि पार्थसारथी की अगुवाई वाले गिल्ड ने शैडो बैंक चलाया।
इसके तहत भाईचारगी वाले लाभ पहुंचाए गए और धोखाधड़ी का नंगा नाच खेला गया और उद्यम के अंदर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया गया।
समीक्षाधीन अवधि में ऑडिट समिति की पांच बैठकें हुईं, जो 25 अप्रैल, 2017, 31 जुलाई, 2017, 6 नवंबर, 2017, 20 दिसंबर, 2017 और 29 जनवरी, 2018 को की गईं।
ऑडिट समिति की इन बैठकों में शामिल होने वाले निदेशकों में -सुरेंद्र सिंह कोहली (चेयरमैन), शुभलक्ष्मी पानसे और अरुण साहा रहे।
ऑडिट समिति के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को कंपनीज अधिनियम 2013 के तहत परिभाषित किया गया है।
अपने कामकाज की आलोचना के बाद एमसीए ने जानबूझकर ध्यान नहीं देने के लिए सुस्त ऑडिट समिति की खिंचाई की।
जांच दल ने समिति की विभिन्न बैंठकों/एजेंडों का विश्लेषण किया और पाया कि समिति को आरबीआई के परिपत्र दिनांक 21.03.2014 डीएनबीएस (पीडी) सीसी. नंबर 371/03.05.0डब्ल्यू/2-13-14 के संबंध में जानकारी दी गई थी और 29.04.2014 की बैठक में त्वरित प्रावधान को मंजूरी दी गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ही समूह की अलग-अलग कंपनियों को कर्ज बांटे गए, जबकि कंपनियां पहले से लिए गए कर्ज को नहीं चुका रही थीं। इसलिए ऑडिट समिति को उन्हें हरी झंडी नहीं देनी चाहिए थी।
निवेश में कमी पर प्रावधान :
निवेश के मूल्य में कमी को लेकर बार-बार चिंता जताई गई और आरबीआई ने इस मुद्दे को बार-बार बताया। (एसीएम के 31-10-2014, 29-04-2014, 06-05-2015, 03-11-2015, 05-05-2016, और 28-05-2018 के मिनट्स से मिली जानकारी)।
विभिन्न ऑडिट समितियों में निवेश की कमी का मुद्दा उठा, जिसमें आईएल एंड एफएस इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी लि., आईटीएनएल, पिपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग कंपनी लि., इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लि., टेक महिंद्रा लि. और टाटा स्टील लि., टीटीएसएल, एमसीएक्स-एसएक्स और जॉन एनर्जी लि. शामिल रहे।
जांच दल ने पाया कि नीति और आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के दिशानिर्देशों के बावजूद समिति ने कोई कदम नहीं उठाया।