इंद्र वशिष्ठ
देश की राजधानी में दिनों-दिन बढ़ रहे अपराध का मामला संसद में भी उठाया गया। दिल्ली पुलिस द्वारा 2019 में अपराध के 316261 मामले दर्ज़ किए गए। साल 2018 में 262612 मामले दर्ज़ किए गए थे। राज्य सभा में सांसद मोतीलाल वोरा ने दिल्ली में अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि के बारे में सरकार से सवाल किया था। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि दिल्ली के लोगों को अपराध मुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं। आपराधिक मामलों की तेज़ी से जांच और अपराधियों को शीघ्र दण्डित किया जाना सुनिश्चित करने के लिए भी क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्य सभा में बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, मोटर वाहनों और अन्य सम्पत्तियों की चोरी के संबंध में ई-एफआईआर के ऑनलाइन पंजीकरण के प्रावधान सहित अपराध की सूचना देने तथा उसके पंजीकरण को सुगम बनाने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं, जिसके कारण दिल्ली में पंजीकृत केसो की संख्या में वृद्धि हुई होगी। पिछले तीन सालोंं और इस साल 15.02.2020 तक के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा पंजीकृत किए गए आपराधिक मामलों का ब्यौरा निम्नानुसार है।
साल में 2017 में 244714 मामले, साल 2018 में-262612 मामले, साल 2019
में 316261 मामले और इस साल 15-2-2020 तक अपराध के 42777 मामले दर्ज़ किए गए हैं।
अपराध की रोकथाम के लिए उपाय-
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने अपराधों की रोकथाम करने और उनका शीघ्र पता लगाने के लिए अनेक उपाय किए हैं। इन उपायों में, अन्य बातों के साथ-साथ, संगठित अपराध के विरूद्ध कार्रवाई, कुख्यात अपराधियों की गिरफ्तारी/निगरानी, पुलिस की मौजूदगी को बढ़ाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में संयुक्त सामूहिक गश्त, बीट पुलिस व्यवस्था पर अधिक जोर देना, अपराधियों की गहन निगरानी, कार्रवाई हेतु संबंधित एजेंसियों के साथ अंधेरे वाले स्थानों से संबंधित सूचना साझा करना और ‘जनसंपर्क’ तथा अन्य सामुदायिक संपर्क कार्यक्रमों के माध्यम से नागरिक-केंद्रित पुलिस व्यवस्था शामिल हैं।
अपराधियों को सज़ा दिलाने के लिए क़दम-
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि आपराधिक मामलों की शीघ्र जांच और आपराधियों हेतु दंड के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं जिनमें, अन्य बातों के साथ-साथ, बेहतर दोषसिद्धि दर प्राप्त करने के लिए मामलों की पैरवी की निगरानी करने और विभिन्न न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों का दैनिक आधार पर विश्लेषण करने हेतु विधिक प्रकोष्ठ की स्थापना करना; जांच अधिकारियों (आईओ) के मार्गदर्शन हेतु विधिक विशेषज्ञों की सहायता प्राप्त करना; वैज्ञानिक जांच, प्रत्यर्पण संबंधी कानून, महत्वपूर्ण मामला अध्ययन, साइबर-अपराध आदि जैसे विशिष्ट पाठ्यक्रमों में आईओ का प्रशिक्षण; प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का प्रमुख भाग दंड विधि, दंड प्रक्रिया, वैज्ञानिक जांच, फॉरेंसिक विज्ञान और साइबर अपराध के अत्याधुनिक पहलुओं के लिए समर्पित करना; और जांच अधिकारियों के कौशल में सुधार करने के लिए जिला न्यायालयों द्वारा जारी की गई विभिन्न टिप्पणियों/निर्देशों का सारांश नियमित तौर पर सभी जिलों/इकाइयों को भेजा जाना शामिल है।
पुलिस FIR ही सही दर्ज़ नहीं करती।
पुलिस द्वारा दिए गए उपरोक्त आंकड़े सच्चाई से कोसों दूर है।
दिल्ली में दिनों-दिन अपराध बढ़ने का मुख्य कारण है पुलिस का वारदात को सही दर्ज न करना। अपराध के मामले सही दर्ज होंगे तो अपराध में वृद्धि उजागर होगी और पुलिस पर अपराधी को पकड़ने का दवाब बनेगा। पुलिस यह चाहती नहीं इसलिए पुलिस की कोशिश होती है कि अपराध के मामले कम से कम दर्ज किए जाए या फिर हल्की धारा में दर्ज किया जाए। लेकिन ऐसा करके पुलिस एक तरह से अपराधियों की ही मदद करती हैं। इसीलिए बेख़ौफ़ लुटेरों ने आतंक मचा रखा है। महिला हो या पुरुष कोई भी कहीं पर भी सुरक्षित नहीं हैं।
लूटपाट और लुटेरों पर अंकुश लगाने में नाकाम पुलिस अपराध के आंकड़ों की बाजीगरी से अपराध कम होने का दावा करने में जुटी हुई हैं।
लोगों को FIR दर्ज कराने के लिए अड़ना चाहिए।
लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस ने उनके साथ हुई वारदात की सही एफआईआर दर्ज की है या नहीं है। यानी लूट को लूट और चोरी को चोरी में ही दर्ज़ किया गया है।