इस्लामाबाद (आईएएनएस)। एक विशेष अदालत ने गुरुवार को पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ राजद्रोह मामले की सुनवाई 12 जून तक के लिए स्थगित कर दी। मुशर्रफ ने विशेष अदालत से अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर राजद्रोह मामले की सुनवाई को गुरुवार (आज) से बढ़ाकर रमजान के बाद करने का आग्रह किया था।
जियो न्यूज के मुताबिक, पूर्व सैन्य तानाशाह के वकील सलमान सफदर ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल की हालत बेहद खराब है। इस वजह से वह सुनवाई में हिस्सा नहीं ले सकते। इसके बाद न्यायमूर्ति ताहिरा सफदर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई 12 जून तक के लिए स्थगित कर दी।
वकील ने मुशर्रफ की ओर से एक आवेदन में कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति और पाकिस्तान लौटने की उत्सुकता के बावजूद, बीमारियों और चिकित्सा जटिलताओं के कारण वह विशेष अदालत में पेश नहीं हो सकते।
वकील ने कहा, वह शर्मिदा हैं और समय पर नहीं पहुंचने के कारण माफी मांग रहा है। वह चलने में असमर्थ है, वकील ने कहा कि उन्होंने मुशर्रफ के साथ तीन दिन बिताए थे और यह देखकर हैरान थे कि वह मुश्किल से बोल पा रहे हैं। वकील ने कहा, डॉक्टरों ने कहा है कि इस स्थिति में यात्रा करना उनके लिए सुरक्षित नहीं है।
फिर उन्होंने अदालत से रमजान के बाद सुनवाई को स्थगित करने के लिए कहा। अदालत ने मामले में मुशर्रफ को बरी करने की याचिका पर सरकार को नोटिस भी जारी किया। मुशर्रफ पर पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने नवंबर 2007 में अतिरिक्त संवैधानिक आपातकाल लगाने के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, ट्रायल कोर्ट मुकदमे को पूरा करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 342 के तहत मुशर्रफ के बयान को रिकॉर्ड करने के लिए निर्धारित है। मुशर्रफ 2016 में चिकित्सा उपचार की तलाश के लिए दोुबई गए थे और तब से वापस नहीं आए हैं। इससे पहले मार्च में, उन्हें दुबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया गया कि वह एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं, जिसके लिए वह पहले से ही इलाज कर रहे थे।
आवेदन में कहा गया है कि मुशर्रफ कार्डियक अमाइलॉइडोसिस (कंजेस्टिव हार्ट फेल्यर), क्रोनिक किडनी डिजीज (गुर्दे की प्रणाली में उच्च क्रिएटिन), अत्यधिक सोमोलेंस (हाइपरसोमनिया), रीढ़ की हड्डी में चोट और फ्रैक्चर से पीड़ित हैं।
डॉन ऑनलाइन के अनुसार, इसमें इस बात का भी जिक्र किया गया कि पूर्व राष्ट्रपति 24 मार्च 2013 को बेनजीर भुट्टो की हत्या के मुकदमे का सामना करने के लिए पाकिस्तान आए थे, उनके आगमन के बाद उन पर न्यायाधीशों की नजरबंदी और अकबर बुगती मामले व देश में उच्च राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।