नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले के मुकदमे को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और निचली अदालत के न्यायाधीश को रोजाना सुनवाई कर मामले को छह महीने में समाप्त करने का निर्देश दिया।
मामले को स्थानांतरित करते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा, कोई भी दोषी नहीं बचेगा लेकिन यही मामले का अंत नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने मुकदमे को दिल्ली स्थानांतरित किया हालांकि, सीबीआई वकील ने अदालत से कहा कि मामले को पहले ही मुजफ्फरपुर से पटना स्थानांतरित किया जा चुका है।
अदालत को बताया गया कि मामले में आरोपपत्र दिसंबर 2018 में दाखिल किया गया और इस मामले में 21 गवाह हैं।
सुनवाई की शुरुआत में प्रधान न्यायाधीश ने बिहार सरकार की तरफ से पेश हो रहे वकील से राज्य के आश्रय गृहों में रहने वालों की संख्या व कर्मचारियों की जानकारी मांगी। इसके साथ इनके प्रबंधन पर खर्च होने वाली राशि का ब्यौरा भी मांगा।
जब वकील सवालों का जवाब नहीं दे सके तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम एक ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति चाहते है जो मामले का जानकार हो। आप सरकार चला रहे हैं। आप कानून के अनुसार कैसे सरकार चला रहे हैं। हम सभी जवाब चाहते हैं।
पीठ ने वकील को जवाबों के साथ अपरान्ह दो बजे तक आने का समय दिया, साथ ही प्रधान न्यायाधीश ने चेताया कि अगर सवालों का जवाब नहीं मिला तो बिहार के मुख्य सचिव को समन भेजा जाएगा।