नई दिल्ली/मुंबई : सुस्त बिक्री और ऊंची लागत से जूझ रहे देश के ऑटो सेक्टर में नई भर्तियां बहरहाल रुक गई हैं। उद्योग से जुड़े लोगों को आशंका है कि इस सेक्टर में आगे छटनी की भी नौबत आ सकती है।
वाहनों की मांग घटने से ऑटो सेक्टर फिलहाल मंदी के दौर से गुजर रहा है और ऊंची ब्याज दर के कारण दबाव में है।
ऑटो सेक्टर को नौकरियां देने वाला एक बड़ा सेक्टर होने के कारण विनिर्माण क्षेत्र की रीढ़ माना जाता है।
मांग घटने से मूल उपकरण विनिर्माता उत्पादन में कटौती करने को बाध्य हैं और उन्होंने नई भर्तियां रोक दी हैं।
ऑटो सेक्टर में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर 3.7 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। इस सेक्टर में सुस्ती के कारण इससे जुड़े उद्योग मसलन रबड़, इस्पात और ऑटो रिटेल पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।
उद्योग से जुड़े लोगों ने आईएएनएस को बताया कि नई भर्तियों पर रोक लगी हुई है और यही स्थिति आगे भी बनी रही तो इस उद्योग में छटनी की भी नौबत आ सकती है।
ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर वी. श्रीधर ने कहा, सुस्ती के कारण अल्पकालिक बंदी की नौबत आ गई है, जिसके कारण अस्थाई रोजगार रोजगार पर प्रभाव पड़ा है और स्थाई कर्मचारी भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस के अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले ने कहा, नई भर्तियां रुकी हुई हैं और सुस्ती के कारण कुछ लोग बेरोजगार भी हुए हैं, क्योंकि सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
उद्योग फिलहाल आगामी बजट 2019-20 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती के साथ-साथ प्रोत्साहन पैकेज की राह देख रहा है।
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