प्रदीप शर्मा
सुप्रीम कोर्ट ने आज एक और बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को वकालत करने से नहीं रोका जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मांग की गई थी कि पेशे से वकील जनप्रतिनिधियों के देशभर की अदालतों में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाई जाए.
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के हवाला दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम जनप्रतिनिधियों के वकीलों के तौर पर प्रैक्टिस करने पर रोक नहीं लगाते हैं.सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें पेशे से वकील जनप्रतिनिधियों (सांसद, विधायकों और पार्षदों) के कार्यकाल के दौरान अदालत में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
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याचिका में कहा गया है था कि जनप्रतिनिधि सरकारी वेतन, भत्ते और सुविधाएं लेते हैं. नियमों के मुताबिक वेतनभोगियों को प्रैक्टिस का अधिकार नहीं है. साथ ही, संसद-विधानसभा में कानून बनाने वाले लोगों का कोर्ट में कॉर्पोरेट घरानों की वकालत करना नैतिक रूप से भी गलत है.