नई दिल्ली, 19 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय आंकड़ों की विश्वसनीयता को बरबाद करने के आरोपों से इनकार करते हुए सरकार ने कहा कि नोटबंदी वाले साल के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के संशोधित आंकड़ों में कोई हेर-फेर नहीं की गई है, वास्तव में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के कारण अभी इन आंकड़ों में और तेजी आएगी।
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने आईएएनएस से कहा, इसमें बिल्कुल भी हेर-फेर नहीं की गई है। यह असली आंकड़ा है। किसी ने इसमें हेर-फेर नहीं की है।
सरकार ने 31 जनवरी को वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी के आंकड़ों को संशोधित किया और 7.1 फीसदी से 110 आधार अंक बढ़कर 8.2 फीसदी हो गया। इसी साल नोटबंदी की गई थी, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी की दर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 7.2 फीसदी रही।
गर्ग ने कहा कि विकास दर में तेजी दो मुख्य क्षेत्रों में तेजी के कारण आई, जिसमें विनिर्माण और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं, जबकि उत्पादन और खनन क्षेत्र में उतनी तेजी नहीं रही। इससे साफ है नोटबंदी के कारण तेजी वाले क्षेत्रों को सीधा लाभ मिला।
गर्ग ने कहा, संभव है कि बाकी क्षेत्रों में उतनी तेजी नहीं आई हो। क्योंकि विनिर्माण, खनन आदि क्षेत्रों के आंकड़ों का संशोधन नहीं किया गया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि विकास दर के आंकड़ों में अभी और संशोधन हो सकता है और यह अभी और ऊपर जा सकता है, क्योंकि जीएसटी लागू हुआ था।